पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लैव्यव्यवस्था और लोह में से उन के दहिने कानों को लहर पर और दाहिने हाथों के अंगठां पर और दहिने पांत्र के अंगठां पर मूसा ने लगाया और मसा ने लोहू को बेदी के चारों और छिड़का॥ २५। और चिकनाई और पंड और सब चिकनाई जो शोझ पर और कलेज पर की झिल्ली और दोनों गुर्दे उन की चिकनाई और दहिना कांधा लिया॥ २६ । और उस अखमीरी रोटी की टोकरी में से जो परमेश्वर के सन्मुख थी एक श्रखमोरी फुलका और एक फुल का तेल में चुपड़ा हुआ और एक लिट्ठी निकाली और उन्हें चिकनाई पर और दहिने कांधे पर रकथा॥ २७॥ और उस ने सब के हारून और उम के बेटों के हाथों पर रकला और उन को परमेश्वर के सन्मुख हिलाने की भेट के लिये हिलाया । २८ । फिर मुसा ने उन्हें उन के हाथों से लिया और हाम की भेंट की बेदी पर जलाया यह स्थापना सुगंध के लिये भी यह परमेश्वर के लिये होम की भेट है ॥ २६ । फिर मूसा ने छातौ लिई और उसे हिलाने की भेट के लिये परमेश्वर के प्रागे हिताया स्थापित करने के मेंढ़े से मूसा का भाग था जैसा कि परमे- मे मूसा को आज्ञा किई ॥ ३.। फिर ममा ने अभिषेक का तेल और वेदी पर के लेह में से लिया और हारून पर और उस के बस्त्रों पर और उन के साथ उस के बेटों पर और उन के बस्त्रों पर छिड़का और हारून को और उस के बस्वों को और उम के बेटी को और उन के वस्त्र को पवित्र किया ॥ ३१। और मूमा ने हारून से और उस के बेटों से कहा कि मांस को मंडली के नंब के द्वार पर उसिन और उसे उस स्थान में उम रोटी के साथ जो स्थापित करने की टोकरी में है खाओ जैसे में ने यह कहके आज्ञा किई कि हारून और उस के बेटे उसे खावें ॥३२ । और मांस और रोटी में से जो उबरे उसे आग से जलाओ। ३३ । और मंडली के तंबू के द्वार से सात दिन लो बाहर न जाओ जब लो स्थापित करने के दिन पूरे न हो क्योंकि वह उन्हें सात दिन में स्थापित करेगा। ३४। जैसा उस ने अज के दिन किया है परमेश्वर ने आज्ञा किई है कि तुम्हारे लिये प्रायश्चित्त होवे ॥ ३५ । इस कारण मंडली के नंबू के द्वार पर सात रात दिन ठहरो और परमेश्वर की आज्ञाओं को पालन करो जिसने न मरो क्योंकि मुझे येही श्राज्ञा है । ३६ । सेो सब कुछ म्वर