पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

११ पाई] पुस्तक । निये अशुद्ध की २१५ तुम्हारे निये अशुद्ध। ७ । और सूअर यद्यपि उस का खुर बिभाग है और उस का पांव चौरा तथापि बुद्द पागुर नहीं करना वह तुम्हारे ८। तम उन के मांस में से कुछ न खाइया और उन की लोधों को न छूइया क्योंकि वे तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। < और समस्त पानियों में का खाइयो नदियों में और समुद्रों में और पानियों में जिस किसी के पंख अथवा छिलके हों उन्हें खाइयो। १.। और सब जो समद्रों में और नदियों में और सब जापानियों में चलते हैं और कोई जीवधारी जो पानियों में हैं जिन के पंख और छिलके नहीं हैं घिनित हांगे ॥ १९ । और वे तुम्हारे लिये घिनित होंगे तुम उन के मांस में से न खाओ। परंतु उन को लाथ को धिनित समुभो । १२। जिन के पानियों में पंख और छिलके नहीं हैं वे सब तुम्हारे लिये विनित होंगे॥ १३। और पक्षियों में से तुम उन्हें चिनित समुझो और उन्हें न खाइयो वे घिमित हैं गिन और हड़फोड़ और कुरुल ॥ १४। और शकुन और भांति भांति की चौल्ह् ॥ १५ । और भांति भांति के हर एक काग॥ १६ । और शुतुर मुर्ग और तखमन और कोकिल और भांति भांति को तुरमती॥ १७। और छोटा उल्लू और हाड़गौल और बड़ा उख्नु । १८। और राजहंस और पनिबुड्डी और रखम । १६ । और सारस और भांति भांति के बगला और टिटिहिरी और चमगुदड़ी॥ २० । और सारे कौट जो उड़ते और चार पांव से रेंगते हैं तुम्हारे लिये वे विनित हैं ॥ २९ । तथापि तुम सब पक्षियों में से जो चारों पांव से रेंगते हैं जिन की पिछली टांग अगले पांच से लपटी हुई हैं जिस्मे वे फांद कर एथिवी पर चले तुम उन्हें खाइयो। २२ । तुम उन्हीं में से इन्हें खाइयो जैसे भांति भांति की रिड्डो और भांति भांति के फनगे और भांनि भांति के खरगोल और भांति भांति के किलि के ॥ २३ । परंतु सब रेंगवैये पक्षियों में से जिन के चार पांव हैं वे तुम्हारे लिये धिनित हैं। २४ । और उन के लिये तुम अशुद्ध होगे जो कोई उन की लोथ को छूयेगा सो सांझ लो अपवित्र रहेगा। २५ । और जो कोई उन में से किसी की लोथ को उठाने से अपने कपड़े धोने और सांझ लो अपवित्र रहेगा ॥ २६ । हर एक पशु जिन के