पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२२८

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२२० [१३ पर्च लैव्यव्यवस्था काला होवे तो उसे सात दिन लो बंद करे ॥ २७। और सातवें दिन याजक उमे देखे यदि बुह चमड़े पर बहुत फैल गया हो तब याजक उसे अपवित्र कहे कोढ़ की मरौ है ॥ २८। और यदि बुह चकचक्रिया बिंदु अपने स्थान पर हो और चमड़े पर न फैले परंतु कुछ काला हाय र केवल जन्नने का उभरना है याजक उसे शुद्ध ठहरावे क्योंकि जलने की जलन है। २६। यदि किसी पुरुष अथवा स्त्री के सिर अथवा डादौ में मरी होय ॥ ३० । तब याजक उस मरी को देखे यदि बुह देखने में चमड़े से गहिरी देख पड़े और उस पर पीला बाल हो तो याजक उसे अपवित्र ठहरावे यह से हुआ सिर अथवा डाढ़ी का कोढ़ है॥ ३१। और यदि याजक उस सेहु की मरी को देखे और चमड़े से गहिरी न सूझ पड़े और उस पर काला वाल भी न हो तो याजक उस से मरी जन को सात दिन लो बंद करे। ३२ । और सातवें दिन याजक उस मरी को देखे और यदि से मां को फैला न देखे और उस पर पौला बाल न हो और से हुश्रा देखने में चमड़े से गहिरा न हो। ३३ । बुह मुड़ाये जावं परंतु सेडयां को न मुंडावे और जिस पर सेहुयां है याजक उस को और सात दिन बंद करे ॥ ३४ । फिर सातवे दिन याजक उसे देखे यदि सेहु को चमड़े पर फैलते देखे चमड़े से गहिरा होय र याजक उसे पवित्र ठहरावे वुह अपने कपड़े धोने और पवित्र हांचे ॥ ३५ । और यदि उस के पवित्र होने के पीछे वुह सेहुअा चमड़े घर बहुत फैल जावे ॥ ३६ । तो याजक उसे देखे और यदि से हुआ चमड़े पर फैला देखे तो याजक पोले बाल को न ढूंढे वह अपवित्र है॥ ३७। परंतु यदि उम के देखने में सेनां वैमाही है और उस में काला बाल निकला होतो सेड्या चंगा हुआ चुह पवित्र है याजक उसे पवित्र ठहरावे ॥ ३८। यदि किमी पुरुष अथवा स्त्रों के शरीर के चमड़े पर उजला अथवा चकचकिया बिंदु होय ॥ ३८ । तब याजक देखे उस के शरीर के चमड़े पर के चकचकिया बिंदु ननिक काला उजला सूझ पड़ें वह छोप है जो चमड़े से निकलना है वह पवित्र है॥ ४. 1 और जिस मनुष्य के सिर के बाल गिर गये हो बुह चंदुला है बुह पवित्र है ॥ ४१ । और जिस मनुष्य के सिर के बाल मुंह की ओर से गिर गये हा युह चंदुला है पवित्र है।