पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२३३

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४.1 ४४। तबयाजक को पुस्तक । छूका करें जिसने घर को समस्त सामग्रौ अपवित्र न हो जाय उस के पीछे याजक घर के भीतर देखने जाय ॥ ३७। और वुह उन मरी पर दृष्टि करे यदि मरी उस घर की भौतों पर हरी सौ अथवा लाल मी और गहिरी लकीर दिखाई देवे॥ ३८॥ तो याजक घर के द्वार से बाहर निकल के घर को सात दिन लों बंद करे॥ ३६ । और याजक सातवें दिन फिर आके देखे यदि वह मरी घर की भौत पर फैली दिखाई दवे॥ नो याजक आज्ञा करे कि उन पत्थरों को जिन में मरी है निकाल डालें और नगर के बाहर अपवित्र स्थान पर फेंक देवें ॥ ४१। फिर वुह घर के भीतर चारों ओर खुरचवावे और वे उस खुरची धूल को नगर के बाहर अपवित्र स्थान में फेंक देखें। ४२॥ और वे और पत्थर लेके उन पन्थरों के स्थान पर जोड़ें और वुह दूसरा खोआ लेकर घर की गच करे। ४३। और यदि पत्थर निकालने के और घर खुरचाने के पीछे और गच करने के पीछे मरी प्रावे और उस घर में फूट निकले ॥ आके देखे यदि बुह मरी घर में फैलो देखें तो चुह घर कोढ़ी और अशुद्ध है॥ ४५ । वुह उस घर को और उस के पत्थरों को और उस को लकड़ियों को और उस के सब खाये को गिरा देवे और वह उन्हें नगर के बाहर अपवित्र स्थान में ले जाय ॥ ४६ । इससे अधिक जब लेां वुह घर बंद होय जो कोई उस घर में जाय सोसांझ ले और जो कोई उस घर में सोय सो अपने कपड़े धोने और जो कोई उस घर में कुछ खाय से अपने कपड़े धावे । ४८ । और यदि घर के गच होने के पीछे याजक आते आते उस वर में आये और देखे कि वुह मरी घर पर नहीं फैली तो याजक उस घर को पवित्र ठहराव क्योंकि वह मरी से चंगा हो गया ॥ ४६ । तब उस घर को पवित्र करने के लिये दो चिड़ियां और शमशाद की लकड़ी और लाल और जूफा लेवे ॥ ५० । और उन चिड़ियों में से एक को मिट्टी के पात्र में बहते पानी पर बाल करे। ५१ । फिर वुह शमशाद को लकड़ी और जूफा और लाल और उस जीती चिड़िया को लेके उन्हें बलि किई हुई चिड़िया के लोहू में और उस बहते पानी में चभारे और मान बेर उम घर पर छिड़ के ॥ ५२। और चिड़िया के लोहू और बहते पानी और जीती चिड़िया और शमशाद की (A. B. S.] अशुद्ध होगा। ४७॥ 29