पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२३४

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॥ ॥ २२६ नेव्यव्यवस्था लकड़ी और जुफा और लाल से उम् घर को पवित्र करे॥ ५३। परंत वुह टम् जीती चिडिया को नगर के बाहर चैामान की ओर छोड़े और उस घर के लिये प्रायश्चित करे और वुह पवित्र हो जायगा। ५।। हर भांति के कोढ़ की मरी और सेहुयां के॥ ५५ । और बस्त्र और घर के कान के लिये ॥ ५६ । और उभरना और घाव और चकचकिया बिंदु के लिये यह व्यवस्था है। ५७। छपवित्र और पवित्र होने के दिन सिखलाये क्योंकि कोढ़ के लिये यही ब्यवस्था है १५ पंद्रहवां पई । फर परमेश्वर मूसा और हारून से कहके बोला ॥ २ । कि इसराएल के संतानों से कहके बोल कि यदि किसी मनुष्य के प्रमेह का रोग होवे तो प्रमेह के कारण से अशुद्ध है॥ ३ । और यदि उस का ममेह थम जाय अथवा बना बुह अशुद्ध ४। हर एक बिछौना जिस पर प्रमेही लेटता है सो अशुद्ध होगा और हर एक बस्तु जिस पर बुद्ध बैठता है अशुद्ध होगी॥ ५। और जो कोई उस के विछाने को छूने मो अपने कपड़े धोने और पानी से स्नान करे और सांझ लो अपवित्र ६। और जो कोई उस वस्तु पर जिस पर प्रमेही बैठता है बैठे सो अपने कपड़े धावे और पानी में नहाये और सांझ लों अशुड्न रहेगा ॥ । और जो कोई उस के शरीर को जिसे प्रमेह है कुवे से अपने कपड़े धोये और पानी से स्वान करे और सांझ लो अशड रहेगा॥ । और यदि अमेही किसी पवित्र मनुष्य पर धू के तो बुह मनुष्य अपने कपड़े धोने और पानी से स्नान करे और सांझ ले अपवित्र रहेगा॥ । और जिस धामन पर बुह बैठे से अपवित्र होगा। और जो कोई उस वस्तु को जो उस प्रमेही के नीचे है छूने से सांझ लो अपवित्र रहेगा और जो कोई उन बस्तुन को उठावे से अपने कपड़े धोने और पानी से स्नान करे और सांझ लो अपवित्र रहेगा। ११। और बिन हाथ धोये जिस किसी को प्रमे ही छने से अपने कपड़े धोये और पानी से स्नान करे और सांझ लो अपवित्र रहेगा। १२। और जिम मिट्टी के पात्र को प्रमेही छवे सो तोड़ा जाय और यदि काछ का पात्र रहेगा।