पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२३६

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२२८ लेब्यव्यवस्था जिस पर वुह लेटतो है और जिस पर गुह वैठती है सो उस के अलग होने की अपवित्रता के समान अपवित्र होगा॥ २७। और जो कोई उन बस्तुन को कूवे सेो अपवित्र होगा और अपने कपड़े धोवे और पानी से स्नान करे और सांझ लो अपवित्र रहेगा ॥ २८ । और जब वुह अपने रज से पवित्र होवे तब सात दिन गिने उस के पौके वुह पवित्र होगी। २६। और आठवें दिन वुह दो पिण्डुकियां अथवा कपोत के दो बजे लेवे और तंबू के द्वार पर याजक पास श्रावे॥ ३० । और याजक एक को पाप की भेंट और दूसरे को होम की भेंट के लिये चढ़ावे और याजक उस के रज को अपवित्रता के लिये परमेश्वर के आगे उस के लिये प्रायश्चिन करे। ३१। तुम दूसराएल के मतानों को उन को अपवित्रता से यो अलग करो जिस में वे अपनी अपवित्रता से मर न जावें जब वे मेरे तंबू को जो उन के मध्य में है अपवित्र करें। ३२ । उस के लिये जिसे प्रमेह का रोग होय और उस के लिये जा रति करने से अपवित्र हाय और उस के लिये जो रजखस्ता होय और उस पुरुष और स्त्री के लिये जिसे प्रमेह का रोग होय और उस पुरुष के लिये जो रजस्वला के साथ लेटता हो यही ब्यवस्था है। और १६ सोलहवां पद। पर जब हारून के दो बेटे परमेश्वर के आगे नैवेद्य लाये और मर गये उस के पीछे परमेश्वर ने मूसा से कहा ॥ २। परमेम्बर ने मूसा से कहा कि अपने भाई हारून को कह कि वह हर समय पवित्र स्थान के बूंघट के भीतर दया के आमन के आगे जो मंजूषा पर है न आया करे न हो कि मर जाय क्योंकि मैं मेघ में दया के आसन पर दिखाई दूंगा। ३। पवित्र स्थान में हारून या श्रावे पाप को भेंट के लिये एक न कड़ा और होम की भट के लिये एक मेंढ़ा लावे॥ ४। पवित्र सूती कुरती पहिने और उस के शरीर पर सूतौ स्थनी हो और सूती पटु के से उम की कटि बंधी हो और अपने सिर पर सूती पगड़ी रकचे ये पवित्र बस्त्र हैं और बुह अपना शरीर पानी से धोवे और उन्हें पहिने। ५। और इसराएल के संतानों की मंडली से बकरी के दो मेम्नेपाप की भेंट