पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२३८

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२३० ले व्यव्यवस्था उस बेदी पर आवे जो परमेश्वर के आगे है और उस के लिये प्रायश्शिन करे और उम बछड़े और उस बकरे के लोहू में से लेके बेदी के सौंगों को चारों और लगावे॥ १८ । और अपनी अंगुली से उस पर सान बर लोहू छिड़के और उसे दूसराएल के मतानों की अपवित्रता से पावन और शुद्ध करे॥ २०। और जब बुह पवित्र स्थान के और मंडलौ के तंबू के और बेदी के लिये मिलाप कर च का तब उस जीते बकरे को लावे॥ २१ । और हारून अपने दोनों हाथ उस जीते बकरे के सिर पर रक्खें और दूसराएल के संतानों को बुराइयों और उन के सारे पाप और अपराधों को मान लेके उन्हें इस बकरे के सिर पर धरे और उसे किसी मनुष्य के हाथ जो उस के लिये ठहरा हा बन को भिजवा दे ॥ २२॥ और वुह बकरा उन की सारी बुराइयां अपने ऊपर उठाके दूर देश में ले जायगा और बुह उस बकरे को बन में छोड़ देवे ॥ २३ । फिर हारून मंडलो के तंबू में आवे और सूती बस्त्रों को जो उस ने पवित्र स्थान में जाने के समय पहिने थे उतारे और उन्हें वहां रख देवे ॥ २४॥ फिर वुह पवित्र स्थान में अपना शरीर पानी से धोवे और अपने वस्त्र पहिन के बाहर श्रावे और अपने होम की भेंट और लोगों के हाम की भेंट चढ़ावे और अपने लिये और लोगों के लिये प्रायश्चित्त करे॥ २५ ॥ और पाप की भेंट की चिकनाई, बेदी पर जलावे। २६ । और जिस ने छुड़ाया हुआ बकरा छोड़ दिया से अपने कपड़े धावे और पानी से नहाने और उस के पीछे छावनी में प्रवेश करे। २७। और पाप की भेंट को और बकरे को जिस का लोहू पवित्र स्थान में प्रायश्चिन के लिये पहुंचाया गया छावनी से बाहर ले जाये और उन की खालें और उन का मांस और गोबर आग में जला देवें ॥ २८। और जिस ने उन्हें जलाया से अपने कपड़े धावे और पानी से स्नान करे उस के पीछे छावनी में श्रावे ॥ २६ । यह तुम्हारे लिये सनातन की विधि होगी सातवें मास की दसवौं तिथि को तुम अपने प्राण को कष्ट दे ओ और कुछ कार्य न करो चाहे देशी चाहे परदेशी जो तुम्हों में बास करता है। ३० । क्योंकि उस दिन तुम्हारे कारण तुम्हें पवित्र करने के लिये मायश्चित किया जायगा जिसन तुम अपने समस्त पापों से परमेश्वर के