पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२४०

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[१८ पञ्च लैव्यव्यवस्था चढ़ावे ।। और उसे मंडली के तंबू के द्वार पर परमेश्वर के लिये न चढ़ावे वहीं मनुष्य अपने लोगों में से काट डाला जायगा ॥ १० । और इसराएल के घरानों में से अथवा परदेशियों में से जो तम्हों में बास करता है जो कोई किसी रौति का लोह खाय निश्चय में उमौ लोह के भक्षक का बिरोधी हंगा और उसे उस के लोगों में से काट डालूंगा ॥ ११ ॥ क्योंकि शरीर का जीवन लोहू में है सो मैं ने उसे बेदी पर तुम्हें दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्चित होवे क्योकि लोहू से प्राण के लिये प्रायश्चिम होता है। १२। इम लिये मैं ने दूसराएल के संतानों से कहा कि तुम्में से कोई माणी लोह न खाय और कोई परदेशी जिस का बास तुम्में है लोहू न खाय ॥ १३ । और इसराएल के संतानों में से अथवा परदेशियों में से जिम का बास तुम्में है जो कोई खाने के योग्य पशु अथवा पक्षौ अहेर करके पकड़े से लोह को बहा देवे और उसे धूल से ढांप देवे ॥ १४। क्योंकि यह हर एक शरीर का जीव है उस का लोहू उस का जीव है दूम लिये मैं ने इसराएल के संतानों को आज्ञा किई कि किसी रीति के मांस का लोह मत खायो क्योंकि लोह हर एक मांस का जीव है जो कोई उसे खायेगा सो अपने लोगों में से कट जायगा ॥ १५॥ जो कुछ मर जाय अथवा फाड़ा जाय चाहे देशी होवे चाहे परदेशी जो पाणी उसे खाय से अपने कपड़े धोवे और पानी से स्नान करे और सांझ लो अपवित्र रहे तब धुह पवित्र होगा। १६ । पर यदि बुह न धोवे और स्नान न करे तो वुह दोषी होगा। १८ अठारहवां पळ। -फर परमेश्वर मूसा से कहके बोला । से कहके बोला। २। कि इमराएल के संतानों से कहके बोल कि मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हं॥ ३। तुम मिस के देश की चालों पर जिस में तुम रहते थे न चलियो और कनान के देश के से काम न करो जहां मैं तुम्हें ले जाता है और उन के व्यवहारों पर न चलिया। ४। मेरे विचारों पर चले और मेरी बिधि को पालन करो और उन पर चलो मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हं॥ ५ । सो मेरौं विधि और मेरे विचारों को पालन करो यदि मनुष्य उन्हें पालन करे तो फिर