पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२४२

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[१६ पर्छ देश अशुद्ध ने ब्यव्यवस्था इन बातों में आप को अण्डू मत कर क्येांकि जिन जातिगण को मैं तुम्हारे आगे निकालता हूं वे इन बातों में अशुङ्ग हैं॥ २५ । और है इस कारण में उप्त के अपराध का पलटा लेता हूं और देश भी अपने वासियों को उगलता है॥ २६। सेो तुम मेरो विधि और मेरे विचारों को पालन करो और इन चिनितों में से किसी को न करो न देशी न तुम्हारा परदेशी जो तुम्में वास करता है ॥ २७। क्योंकि देशी ने जो तुम से आगे थे ये समस्त घिनित कार्य किये और देश अशुद्ध उत्रा है। २८। जिसने जब तुम देश को अशुद्ध करो बुह तुम्हें भी उगल न देवे जिम रीति से उन जातिगणों को जो तुम थे उगला। २९ जो कोई उन विनानी क्रियों में से कुछ करेगा ऐसा कुकी प्राणी अपने लोगों में से कट जायेगा॥ ३० 1 से तम मेरो ब्यबस्थों के पालन करो और उन घिनौनी क्रियों में से जो नम से आगे किई गई कोई क्रिया न करो और अपने को उन से अशुद्ध न करो मैं तुम्हारा परमेश्वर अर हूं। से बाग फिर १८ उन्नीसवां पच। फर परमेश्वर मूसा से कहके बोला ॥ २। इसराएल के संतानों की सारी मंडली से कहके वाल कि पवित्र होगा क्योंकि मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर पवित्र हं॥ ३। तुम अपने अपने माता पिता से डरते रहो और मेरे विश्राम के दिनों को पालन करो मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हूं। ४। तुम मूर्ति न की और मन फिरो और न ढाल के अपने लिये देवता बनाओ मैं परमेपर तम्हारा ईश्वर हं॥ ५ । और यदि तुम कुशल की भेट का बलिदान परमेश्वर के लिये चढ़ाया तो अपनी प्रसन्नता के लिये चढ़ायो ॥ ६ । चाहिये कि जब उसे चढ़ा उसी दिन और दूसरे दिन खाया जाय और यदि नौसरे दिन लों कुछ वच रहे तो आग में जला दिया जाय ॥ ७। और यदि बुह तनिक भी तीसरे दिन खाया जाय तो विनित है वुह माझ न होगा। । से जो ई उसे खायगा से अपराधी होगा क्योंकि उस ने परमेश्वर की अशुड्न किया वुह मनुष्य अपने लोगों में से काटा जायगा । पवित्र वस्तु को