पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२४९

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1 २२ पर्व को पुस्तक २४१ जिस ने ऐसा कुछ छा माझ लो अपवित्र रहेगा और जब लो अपना शरीर पानी से धो न ले पवित्र वस्तु में से कुछ न खाय ।। ७। और जब सथ्य अस्त होवे तब बुह पवित्र होगा और उस के पी के वह पवित्र बस्ते खाय क्योंकि यह उस का आहार है ८। जो कुछ अाप से मरे अथवा फाड़ा जाय वुह उसे खाके आप को अशुष्ड्स न करे मैं परमेश्वर है॥ ६। इस लिये वे मेरी व्यवस्था का पालन कर एमा न होवे को उस के लिये पापी होवें और मरें यदि वे उसे तुच्छ करें मैं परमेश्वर उन्हें पवित्र करता हूं। १.! कोई परदेशी पवित्र वस्तु म खाय और न याजक का पाहुन चौर न बनिहार पवित्र वस्तु को खाय॥ ११ । परंतु जिसे याजक ने अपने दाम से मेल लिया है। सेो उसे खावे और वह जो उस के घर में उत्पन्न हुआ है से। उस के भोजन में से खावे ॥१२। यदि याजक की कन्या किसी परदे शौ से व्या ही जाय तो वह भी चढ़ाई हुई, पवित्र बस्तुम में से न खाय॥ १३। पर यदि याजक की कन्या विधवा हो जाय अथवा त्यक्त होने और निर्देश हा और युवावस्था के समान अपने पिता के घर में फिर श्रावे तो बुह अपने पिता के भोजन में से खाय परत परदेशी उसे न खाय । १४ । और यदि पवित्र बस्तुन में से कोई अनजान खा जावे तो बुह उम के पांचवे भाग को मिला और उसे उस पवित्र बस्त सहित याजक को देवे ।। १५ । और इसराएल के संतान की पवित्र वस्तु न को जो उन्हों ने परमेश्वर के लिये चढ़ाया है ये निंदा न करें॥ १६ । और आप पवित्र वस्तुन के खाने से पाप का बोझ उन से न उठवावें क्योंकि मैं परमेश्वर उन्हें पवित्र करता हूं। १७। फिर परमेश्वर मसा से कहके बोला।। १८। कि हारून को और उम के वेटों को और इसराएल के समस्त संतान को कहके बोल कि दूसराएल के घराने में से अथवा इमराएल के परदेशियों में से जो कोई अपनी ममस्त मनानी के लिय भट और अपनी समस्त मन मंता को भर जा वे परमेश्वर के लिये होम की भंट के लिये चढ़ावें । १४ । सो अपनी ग्राह्यता के लिय ढोरों में से अथवा भड़ बकरी में से निखोट नरुख होवे ॥ २.। और जिस पर दोष है उसे मत चढ़ाइयो क्योंकि तुम्हारे लिये ग्राह्य न होगा॥ २१। और जो कोई अपनी मनौती परी करने को अथवा बोलित भट ढारों में से अथवा भेड़ में से कुशल की भेंट 31 [A. B. S.]