पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२५५

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२५ पन्ने] देवे गौर । २॥ की पस्तक पर किया जायगा। २० । सेड़ने की मंनो तोड़ना अांख की संती आख दांत की संती दांत जैमा उस ने मनुष्य को खाटा किया है उरम वैसा ही किया जावे २१। और बुह जो पशु को मार डाले बुह उस का पलटा जो मनुष्य को मार डाले प्राण से मारा जाय॥ २२ । तम्हारी एक ही रीति की व्यवस्थर होघे जैमी परदेशी की वैसी ही देशी के विषय में होवे क्योंकि मैं परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर हं॥ २३ । तब मूसा ने इमराएल के मतान से कहा कि उस जन को तंबू के बाहर निकाल ले जाने और उस पर पत्थरबाह कर सो इसराएल के संतानों ने जैसा कि परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई थी वैसा ही किया। २५ पचीसवां पब फिर परमेश्वर सौना के पहाड़ पर मूसा मे कह के बाला ॥ कि इसराएल के संतानों को कह के बोल कि जब तुम उस देश में जो मैं तुम्हें देता हूं पहुचा तब वुह भूमि परमेश्वर के लिये विश्राम दिन को बिश्राम करे॥ ३ । कः बरम अपने खेतों को बायो र छः बरस अपने दाखा को सवार और उम का फन बटोर ॥ ४ । परंतु सांतवां बरम देश के लिये नैन का बिश्राम होगा परमेश्वर के लिये बिश्राम न तो खेत को बाना और न अपने दाखों को सबारना॥ ५। जो कुछ अरप से आप ऊगे तू उसे मत सब और बिनमवारी हुई लता के दासां को मत वटार कि देश के लिये चैन का बरस है॥ ६ । सेर भूमि का विश्राम तुम्हारे लिये और तुन्हारे सेवकों और तुम्हारे दाम और दासी और तुम्हारे बनिहार और तुम्हारे परदेशियों के लिये जो तुम्में टिकते हैं । ७। और तुम्हारे हार और जो पशु तुम्हारे देश में है उस का मब प्राप्त रन के खाने के लिये होगा। ८। चौर त सात विश्राम के बरसे को अपने लिये गिन सात र ने सात बरस और सात बरसों के विश्राम के समय तुम्हारे लिये उंचास बरस होंगे। । तब तू मानव मास की दसौं तिथि में यानंद का नरसिंगा फंकवा और मायश्चित्त के दिन अपने सारे देश में नरसिंगा फकवा ॥ १०। सेो तम पचासवे बरन को पवित्र जाना और देश में उस के मारे