पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२६

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17h [१. पर्व उत्पत्ति ऊपर फैलाऊंगाने धमष मेघ में दिखाई देगा। १५ । और मैं अपने नियम को जो मेरे और तुम्हारे और सारे शरीर के हर एक जीवधारी के मध्य में है स्मरण करूंगा और फिर सारे शरीर को नष्ट करने को जल मय न होगा ॥ १६ । और धनष मेघ में होगा और मैं उसे देखूगा जिसने मैं उस सनातन के नियम को जो ईश्वर के और एथिवी के सारे शरीर के हर एक जीवधारी के मध्य में है स्मरण करूं ॥ १७॥ और ईर ने नूह से कहा कि जो नियम मैं ने अपने और प्रथिवी पर के सारे शरीरों से स्थिर किया है उस का यह चिन्ह है। १८ । और नह के बेटे जो नौका से उतरे सिम और हाम और याफत थे और हरम कन- श्रान का पिता था॥ १६ । भूह के यही तीन बेटे थे और उन्हीं से सारी पृथिवी बस गई ॥ २०॥ फिर नूह खेतीबारी करने लगा और उस ने एक दाख की बाटिका लगाई ॥ २१। और उस ने उस का रस पीया और उसे अमल था और अपने तंव में नम रहा। २२। और कनान के पिता हाम ने अपने पिता की नंगापन देखी और बाहर अपने भाइयों को जनाया । २३। तब सिम चैर याफत ने एक आढ़ना लिया और अपने दोनों कंधों पर धरा और पीठ के बल जाके अपने पिता की नंगापन ढांपी सेो उन के मुंह पीछे थे और उन्हों ने अपने पिता की नंगापन न देखी॥ २४ । जब नूह अपने अमल से जागानो जो उस के छोटे बेटे ने उम से किया था उसे जान पड़ा। २५ । और उस ने कहा कि कनान वापित होगा बुह अपने भाइयों के दासे का दास होगा ॥ २६ । और उस ने कहा कि सिम का परमेश्वर ईश्वर धन्य होवे धीर कनवान उम का दास होगा ॥ ईश्वर याफ्त को फैलावेगा और वुह सिम के तंबों में बात करेगा और कनान उस कादास होगा। २८ । और जलमय के पीछे नूह साढ़े तीन सौ बरस जीवा ॥ २६ । और नूह की सारी वय नब सौ पचास बरस की हुई और वह मर गया। १. दसवां पर्च। के बटो को बंशावली वही है सिम चार हाम और याकत अचार जलमय के पोछ उन से बेटे उत्पन्न हुए ॥ २॥ याफल के