पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२६०

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२५२ लेब्यव्यवस्था पर मेरी बाचा तोड़ दो। १६। तो मैं भी तुम से बैसाही कहूंगा और भय और क्षय रोग और तप चर जो तेरी आँखों को नाश करेगा और मन को उदास और तुम अपने बोज अकारथ बोरगे क्योंकि तुम्हारे वैरी उसे खायेंगे। १७। और मैं मेरा साम्ना करूगा और तुम अपने बैरियों के साम्ने जूझ जाओगे जा तुम्हारे वैरी हैं सो तुम पर राज्य करेंगे और कोई तुम्हारा पीछा न करते हो तुम भागे जाओगे ॥ १८। दून सभां पर भी यदि तुम मेरी न सुनोग तो मैं तुम्हारे पापों के कारण सतगुण तुम्हें दंड दऊंगा ।। १६ । और तुम्हारे घमंड के बल को तोडूंगा और तुम्हारा श्राकाश लोहा के मान और तुम्हारी पृथिवी पीतल की नाई कर देऊंगा ॥ २० । और तुम्हारा बस संत से जाता रहेगा क्योंकि तुम्हारी भूमि अपनी बढ़ती न देगी और देश के पेड़ फल न पहुंचायेंगे। २१। और यदि तुम मेरे विपरीत चलेागे और मेरौ न सुनोगे तो मैं तुम्हारे पापांके समान तुम पर सतगुण मरी लाजंगा । और मैं बनैले पशु भी तुममें भेजूंगा और वे तुम्हारे वंश का भक्षण कर ग और तुम्हारे पशुन का नाश करगे और तुम्ह गिनती में घटा दगे और तुम्हारे मार्ग सूने पड़े रहेंगे ॥ २३। और यदि मेरी इन बातों से न सुधरोगे परंतु मुझ से बिपरीन चलेागे ॥ २४ । तो मैं भी तुम्हारे विपरीत चत्तूंगा और तुम्हारे पापों के लिये तुम्हें सतगुण दंड देऊंगा ॥ २५ । और मैं तुम पर तलवार लाऊंगा जा मेरी बाचा के झगड़े का पलटा लेने वाली है और जब तम अपने नगरों में एक? हायोगे मैं तुम्हों में मरी भेजूंगा और तुम बैरियों के हाथ में सैपे जाओगे ॥ २६ । और जब मैं तुम्हारी रोटी को लाठी तोड़ डालूंगा नब दस स्त्री तुम्हारी रोटियां एक भट्ठी में पकावगी और तुम्हारी रोटियां तौल के तुम्ह दंगी और तुम खाओगे परंतु बन्न न हायोगे ॥ २७। और यदि तुम उस पर भी न सुनोगे परंतु मुक से बिपरीत चलेागे॥ २८। तो मैं भी कोप से तुम्हारे विपरीत चलूंगा में हां में ही तुम्हारे पापे के कारण तुम्हें मत्तगुण ताड़ना करूंगा। २६ । अपने वरों का और अपनी बेटियां का मांस खाओगे ॥ ३० । और मैं तुम्हारे ऊंचे स्थानो को टा दंगा २२॥