पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२६१

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पुस्तक । २५२ और तुम्हारो मर्नियों को काट दगा और तुम्हारी लाथ तुम्हारे मूर्तियां को लेोधों पर फकंगा पार श्राप मैं तुम से धिन करूंगा॥ ३१॥ गौर तुम्हारे नगरों को उजाड़ करूगा और तुम्हारे पवित्र स्थानों को सूना करूंगा और में तुम्हारे सुगंध को न ५ गा॥ ३२ । और मैं तुम्हारी भूमि को उजाइंगा और तुम्हारे शत्रु उस के कारण श्राश्चर्य मानगे ॥ ३३ । और मैं तुम्हें अन्यदशियां में छिन्न भिन्न करूंगा और तुम्हारे पीछे से तलवार निकालूंगा और तुम्हारी भूमि उजाड़ होगी और तुम्हारे नगर उजड़ जायेंगे। ३४ । देश अपने समस्त उजाड़ के दिनों में जब तुम अपने शत्रुन के देश में रहोग विश्राम का भाग करेंगे तब देश चैन करेगा और अपने विश्रामों को भाग करेगा॥ ३५ । जब लो उजाड़ रहेगा तब लों चैन करेगा इस कारण कि जब तुम उस में बास करने थे तुम्हारे बिश्रामों में चैन न किया ॥ ३६ । और तुम्में जो बच रहे हैं मैं उन के बैरियों के देश में उन के मन में दुर्बलता डालूंगा और पात खड़कने का शब्द उन्ह खड़ेगा और वे एसे भागेंग जैसे तलवार से भागते हैं और बिना किसी के पीछा करने से वे गिर पड़ेंगे॥ ३७। और वे ऐसे एक पर एक गिरेगे जैसे तलवार के आगे और कोई उन का पीका न करेगा और तुम अपने बैरी के आगे ठहर न सकोगे। ३८ । और तुम अन्यदेशियों में नष्ट है। योगे और तुम्हारे बैरियों का देश तुम्हें खा जायगा ॥ ३६ । और वे जा तुम्में से बच जायगे से तुम्हारे वैरियां के देश में और अपने पाप में और अपने पितरों के पाप में क्षीण हो जायगे। ४० । यदि वुह अपने पापों को और अपने पितरों के पापों को अपने अपराधां के संग जो उन्हों ने मेरा अपराध किया और यह कि वे मेरे विपरीत चले हैं मान लगे। ४१। और में भी उन के विपरीत चला और उन के वैरियां के देश में उन्हें लाया यदि उन के अखतना मन दीन हो जायग और अपने दंड को अपने अपराध के योग्य ४२। तब मैं यअकूब के संग अपनी बाचा को सार ए करूंगा और अपनी बाचा इज़हाक के साथ और अपनी बाचा अबिरहाम के साथ स्मरण करूंगा और उम का स्मरण करूंगा| ४३। वहीं देश उन से छोड़ा जायगा जव ले बुह उन दिनों में उजाड़ पड़ा रहा अपने विश्राम समझग।