पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२६२

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२५४ [२७ पचे नेव्यव्यवस्था को भाग करेगा और वे अपने पाप के दंड को मान लगे इसी कारण कि उन्हों ने मेरौ आज्ञाओं को तुच्छ जाना और इसी कारण कि उन के अंतः करण ने मेरी बिधिन से घिन किया। ।४। और दून सभा से अधिक जब वे अपने बरी के देश में होंगे में उन्हें दूर न करेगा और मैं उन से धिन न करूंगा कि उन्हें सर्वथा नाश कर दे और उन से बाचा तोड़ डालूं क्योंकि मैं परमेश्वर उन का ईश्वर हं॥ ४५ । परंतु उन के कारण मैं उन के पितरों की वाचा को जिन्हें मैं ने मिस्र के देश से अन्य देशियों के आगे निकाल लाया सारण करूंगा कि मैं उन का ईअर परमेश्वर है। ४६। ये विधि और न्याय और व्यवस्था जो परगेश्वर ने सीना पहाड़ पर आप में और इसराएल के संतानों में मूसा की और से ठहराये । २७ सत्ताईसवां पढ़। फर परमेश्वर मूसा से कहके बोला ॥ २ । कि इसराएल के संतानों को कहके बाल जब मनुष्य विशेष मनैती माने तेरे ठहराने के समान जन परमेश्वर के होंगे। ३ । और तेरा मोल बीस बरस से साठ बरस लो पुरुष के लिये तेरा मोल पवित्र स्थान के शेकल के समान पचाम शेकल रूपा होंगे। ४। और यदि स्त्री होवे तो तेरा माल तीस शेकल होंगे। ५। और यदि पाच से बीम बरस को बय होय तो तेरा मे।ल पुरुष के लिये बीम शेकन और स्त्री के लिये दस शेकल ॥ ६। और यदि एक मास से पांच बरस की बय होय तो तेरा मोल पुरुष के लिये चांदी के पांच शेकल और स्त्री के लिये तेरा मोल चांदी के तीन शेकल ॥ ७। और यदि बुह साठ बरस से ऊपर का होय तो पुरुष के लिये तेरा मेल पंदरह शेकल और स्त्री के लिये दस शकत । ८। परंतु यदि तेरे मोल से वह कंगाल ठहरे तो बुह याजक के आगे अरचे और याजक उस का मोल उस की सामर्थ के समान ठहरावे जिसने मनाती किई है याजक उस का मोल ठहरावे । । और यदि पशु है। जिसे मनश्य परमेश्वर के लिये भेंट लाते हैं तो वह सब जो परमेश्वर के लिये चढ़ाया गया सो पवित्र होगा। १० । बुह उसे न फेरे भले के लिये बुरा और बुरे के लिये भला न पलटे और यदि वुइ किसी भांति से पशु की सती पशु दे तो बुद्ध