पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२७४

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11 गिनती [४ पञ्चे होवे ॥ ८। और उन पर लाल कपड़ा बिछायें और उसे नीली खाली से ढांप और उस में बहंगर डालें। फिर नीला कपड़ा लेके प्रकाश को दीअट और उस के दीपकों को और उस के फूल कहानियों और उस के पान और उम के नब तेल के पात्रों पर जिही सेवा करते हैं ढांप । १.। और उसे चार उम के सब पात्रों को नौनी खालों के आड़ में रक्लें और उसे अड़गा पर रक्ते ॥ २१ । र सेनाली यज्ञवेदी पर नीला बस्व बिकावें और उसे नीली खालों के ढपने से ढांय और उस में बहंगर डालें ॥ १२ । और समस्त पत्रों को जो पवित्र स्थान की सेवा में आते हैं लेके नौले कपड़ों में लपेटं और उन्हें नोलो खालों से ढांपें और बहंगर पर रक्खे ॥ १३। और वेदी में से राख निकाल फेंक चौर लाल कपड़ा उस पर बिजाचे ॥ १। और उस के सारे पात्र जिसे वे उस की सेवा करते हैं अर्थात् घमात्ररी और मांस के काटे और फायड़ियां और कोरे और बेदी के समस्त पान उस पर रकतें और उन्हें भीनी खाल से ढांचं और उस में वहंगर डालें । १५। और जब हारून और उस के बेटे पवित्र स्थान को और उस की सामग्री का ढांप चुके तब छावनी के बागे बढ़ने के समय में कि हात के संतान उस के उठाने के लिये भाव परंतु चे पवित्र बस्तु को न छूत्रे न हो कि मर जांब मंडली के तंबू को बस्न किहात के संवानों को उठाने पड़ेगी। १६ । चार दीपकों के लिये तेल और मुगंध धूप और समस्त तंबू और मब जा उस में है और उस के पात्र हारून याजक का बेटा इलिअजर देखा करे॥ १७। फिर परमेश्वर म्मा और हारून से कहके वोला॥ १८ । कि लावियों में से किहात के घराने को गोटी को काट न डालियो। १६ । परंतु उन में ऐसा करो कि वे ज और अति पवित्र बस्तन के समीप आने से न मरें हारून और उस के बेटे भीतर जाये और उन में से हर एक को उस की सेवा पर चार वाम उठाने पर ठहराव ॥ २०। परंतु जब कि पवित्र बस्ने टोपी जायें तो वे उन्हें देखने न आवे जिसते मर न जाय ॥ २१ । फिर परमेश्वर मूसा से कहके बाला॥ २२ । कि जैरसुन के बेटों को भी उन के पितरों के समस्तु घराने उन के कुल कुन्ज के समान गिनती करो ॥ २३ । तीस वरस से लेके पचास बरस ला सब जो सेवा के लिये भीतर जाते हैं कि