पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२७७

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की पुस्तक। १६। कि परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई घी वैसा ही इसराएल के संतानों ने किया। ५ । फिर परमेश्वर मूमा से कहके बोला । इसराएल के संतानों को कह कि जब कोई पुरुष अथवा स्त्री परमेश्वर से विरुद्ध होके ऐसा कोई पाप करे जो मनुष्य करते हैं और दोषी हो जाय ॥ ७1 तव अपने पाप का जो उन्हों ने किया है मान लेवें और वुह मूल के संग पांचवां अंश मिलावे और अपने अपराध के पलटा के लिये उसे देवे जिस का उस ने अपराध किया है। ८। परंतु यदि अपराध के पलटा देने को उम् मनुष्य का कोई कुटुम्ब न होवे तो प्रायश्चित्त के मेन्द्र से अधिक जिस्मे उस के लिये प्रायश्चिन होवे ॥ । उस अपराध की मती परमेश्वर के लिये याजक को दवे और दूसराएन के संतानों को मारी पवित्र बस्तुन की सब भेट जो वे चढ़ाने हैं याजक की हांगी॥ १०। और हर एक मनुष्य को पवित्र वस्ने उम् की होगी जो कुछ याजक को देगा उस की होगी। ११। फिर परमेश्वर ममा से कहके बोला ॥ १२ । कि इमराएल के संतानों को कहके बोल कि यदि किसी की पत्नी अलग होके जम के बिरुद्ध कोई अपराध करे। १३ । और कोई उदो व्यभिचार करे और यह उस के पति से छिपा हो और ढंपा हो और बुह अशुद्ध हो जाय और उस पर साक्षी न होवे और वह पकड़ी न जाय॥ १४। और उस के पति के मन में भल बाबे और वुह अपनी पत्नी से मल रक्ले और वह अशुद्ध हो अथवा यदि उस के पति के मन में झल आवे और वुह अपनी पत्नी से झल रकचे और स्त्री अशुद्ध न होय ॥ १५ । तब बुह मनुष्य अपनी पत्नी को याजक पास लावे और बुह उम के लिये एक ईफा का ट्सयां भाग जव का पिमान उम को भेंट के लिये ..ने और बुह उस पर तेल और लुबान न डाले क्योंकि बुह मन की भेट पाप को चत में लाने के लिये स्मरण की भेंट है॥ १६। तब याजक उस स्त्री को पास बुलावे और परमेश्वर के आगे उसे खड़ी कारे॥ १७। र याजक मट्टी के एक पात्र में शुद्ध जल लेवे और तंब के प्रांगन की धूल लेके उम पानी में मिलावे ॥ १८। फिर याजक उस स्त्री को परमेश्वर के आगे खड़ी करे और उस का सिर उचारे और सारण को भेंट जो झल की भेंट है उम् के हाथों पर रक्खे