पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२७८

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गिनती [५ पद और याजक उस कडुवे पानी को जो धिक्कार के लिये है अपने हाथ में लेजे ॥ १६। और उस स्त्री को किरिया देके कहे कि यदि किसी ने तुझ से कुकर्म नहीं किया और तू केवल अपने पति को छोड़ अशुद्ध मार्ग में नहीं गई तो नू इस कडुवे पानी के गुण से जो धिधार के लिये है बची रहे। २० ! परंतु यदि तू अपने पति को छोड़ के भटक गई है। और अशुद्ध हुई हो और अपने पति को छोड़ किसी दूसरे से कुकर्य किया है।॥ २१। और याजक उस स्त्री को खाप की किरिया देवे और उसे कहे कि परमेश्वर तेरे लोगों के मध्य में तुझे साप देवे कि परमेश्वर तेरी जांघ को सड़ाने और तेरे पेट को फुलावे॥ २२। और यह पानी जो साप के कारण होता है तेरी अड़ियों में जाके तेरा पेट फुलावे और नेरी जांच को सड़ावे और वुह स्त्री कहे कि आमौन अामौन ॥ २३। फिर याजक उन धिक्कारों को एक पुस्तक में लिखे और कडुवे पानी से उरो मिटा दे। २४ । चार याजक वह कडुवा पानी जो नाप के कारण होता है उस स्त्री को पिलाचे तब बुह पानी जो खाप के कारण हाना है उस में कडुवा पैटेगा॥ २५ । फिर याजक उस स्त्री के हाथ से मल की भेट लेके परमेश्वर के आगे उसे हिलावे और यज्ञवेदी पर चढ़ाघे ॥ २६ । और उस भेट के स्मरण के लिये एक मुट्ठी ले के याज्ञक बेदी पर जलाने उस के पीछे बुह पानी उस स्त्री को पिलावे ॥ २७। और जब वुह पानी उसे पिलायेगा तव ऐसा होगा कि यदि वुह अशुद्ध होने और बुह अपने पति के विरुद्ध कुछ अपराध किया हो तो वुह पानौ जो साप के कारण होता है उस के शरीर में पहुंचके कडुवा हो आयगा और उस का पेट फूलेगा और उस की जांच सड़ जायगी और बुह स्त्री अपने लोगों में घिकारित होगी॥ २८। परंतु यदि बुद्द अशुद्ध न हो परंतु शुद्ध हेरवे तो वुह निर्दोष होगी और गर्भिणी होगी॥ २९। उस स्त्री के कारण जो अपने पति को छोड़के भटकती है और अशुद्ध है मल के लिये यह व्यवस्था है। ३० । अथवा जब पुरुष के मन में कल श्राचे चार बुह अपनी पत्नी से संदेह रवये और स्त्री को परमेश्वर के आगे खड़ी करे और याजक उस पर ये सब व्यवस्था पूरी करे। ३१ । नो पुरुष पाप से पवित्र होगा और वुह स्त्री अपना पाप भोगेगी।