पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२८८

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[( पर्च २८० गिनती तंबू में जाके सेवा में रहें। २५ । और जब पचास बरस के हो तो सेवकाई से रहि जायें और फिर सेवा न करें। २६। परंतु मंडली के तंब में अपने भाइयों के साथ रखवाली किया करें और सेवा न करें त लात्रियों से रक्षा के विषय में वाही कीजियो। नौवां पर्व। मन के देश से निकलने के दूसरे बरम के पहिले माम में परमेश्वर ने सौना के अरण्य में मुमा से कहा॥ २। कि दूसराएल के संतान उम के ठहराये हुए समय में पार जाने का पर्च रकवं ॥ ३। इस मास के चौदहवीं तिथि को सांझ के ठहराये हुए समय में उसे करियो उम् की विधि और आचार के समान पद रखियो। ।। सोमसा ने इसराएल के संतानों को कहा कि वे पार जाने का पञ्च रकहें ॥ ५। और उन्हें । ने पहिले मास की चौदहवीं तिथि को सांझ को सौना के अरण्य में पार जाने का पर्व रकवा जैसा कि परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा किई थी दूसराएल के संतानों ने वैसा ही किया। ६। वहां कितने जन थे जा किमी मनुष्य की लाथ के कारण से अपवित्र हुए थे ये उस दिन पार जाने का पज न रख मके और वे मूसा और हारून के समीप आये ॥ ७। और उन्हेंा ने उस्म कहा कि हम मनुष्य के लोष के कारण से अपवित्र हैं किस लिये हम रोके गये कि इसराएल के संतानों में ठहराये हुए समय में परमेशर के लिये भेंट लावें ॥ ८। मूसा ने उन्ह कहा कि ठहर जाओ और मैं मुनगा कि परमेश्वर तुम्हारे विषय में क्या श्राज्ञा करता है। ह। तब परमेश्वर मूसा से कहके बेोला॥ १..। कि इसराएल के मंतानों से कहके बाल कि यदि काई तुम्भे से अथवा तुम्हारे वंश में से किसी लोय के कारण से अशुद्ध होवे अथवा यात्रा में टूर होवे तथापि बुह परमेश्रर के लिये पार जाने का पर्च रक्खे ॥ ११ ॥ दूसरे मास की चौदहवी तिथि को सांझ को वे पञ्च रकवं और अखमौरी रोटी कड़वी तरकारी के माय खावें॥ १२। वे बिहान लो उस में से कुछ न छोड़ें चार न उस की कोई हड्डी तोड़ी जाय पार जाने की समस्त विधि के समान उसे करें॥ १३। परंतु जो मनुष्य शुङ्ग है और यात्रा