पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२८९

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( पच को पस्तक । में नहीं है और यदि पार जाने का पर्च नहीं रक्खे वही नाणी अपने लोगों में से काट डाला जायगा क्योंकि वह ठहराये हुए ममय में परमे पर की भेंट न लाया बुह अपना पाप भगिंगा ॥ १४ । और यदि कोई परदशो तुममें टिके और पार जाने का पर्च परमेश्वर के लिये रकला चाहे तो बह पार जाने के पर्व को उस की रीति चौर विधि के समान रक्खे तुम्हारे लिये ज्या परदेशी और क्या देशी को एक ही विधि होगी। १५ । और जिन दिन तंब खड़ा किया गया मेव ने साक्षी के तंव को ढांप लिया और सांभ से लेके बिहान लो तंबू पर आग सी दिखाई देती थी। १६ । सेो सदा ऐमा ही था कि मेव उसे ढांपता था और रात को भाग सी दिखाई देती थी।१७। और जब तंव पर से मेव उठाया जाता था तब इसराएल के संतान कूच करते थे और जहां मेव आके ठहरता था तहां इसराएल के संतान डरा करते थे॥ १८। इसराएल के संतान परमेश्वर की आज्ञा से कूच करते थे और परमेश्वर की आज्ञा से डेरा करते थे जब लो तंबू पर मेध रहता था वे डेरे में चैन करते थे ॥ १६ । और जय बहुत दिन लो तंबू पर मेघ ठहरता था इसराएल के संतान परमेश्वर की प्राज्ञा मानते और कूच न करते थे॥ २० । और ऐसे ही जब मेघ थोड़े दिन लो तंबू पर ठहरता था वे परमेश्वर की आज्ञा के समान अपने डेरे में रहते थे और परमेश्वर की आज्ञा से कूच करते थे। २१। और यों होता था कि जब मांझा से विहान ले मेव ठहरता था और बिहान को उठाया जाता था तब वे कूच करते थे चाहे दिन चाहे रान जव मेघ उठाया जाता था वे कूच करते थे। २२ । अथवा दो दिन अथवा एक मास अथवा एक बरस मेघ तंबू पर रहना था तब इमराएल के मंसान अपने डरों में रहते थे और कूच न करते थे परनु जब वुह ऊपर उठाया जाता था तब वे कच करते थे ॥ २३ । परमेश्वर की प्राज्ञा से वे तंबू में चैन करते थे और परमेश्वर की आज्ञा से कंच करने ये परमेश्वर की अाज्ञा जो मूमा की ओर से होती थी वे परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते थे। 36 [A. B. S.