पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२९४

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[११ पच गिनती की बान लोगों से कहीं और लोगों के प्राचीन में से मत्तर मनुष्य एकड़े किये और उन्हें तंब के श्राम पाम खड़े किये । २५ । तब परमेश्वर मेध में उतरा और उथे बोला और उस के आत्मा में से कुछ लेके उन सत्तर प्राचीनों को दिया और जब आत्मा उन पर ठहरा वे भविष्य कहने लगे और न थमे॥ २६ । परंतु दो मनुष्य छावनी में रह गये थे जिन में से एक का नाम इल्दाद और दूसरे का मेदाद से अात्मा उन पर ठहरा और वे उन में लिखे गये थे परंतु तंबू के पास बाहर नहीं गये और चे तंबू ही में भविश्य कहने लगे ॥ २७॥ तब एक तरुण ने दौड़के मूसा को संदेश दिया कि दूल्टाद और भेदाद तंबू में भविष्य कहते हैं। २८ । सो मूसा के सेवक नन के बेटे यहसूत्र ने जो उस के तरूणे में से घा मूसा से कहा कि हे मेरे खामी मसा उन्हें बरज दे ॥ २६ । ममा ने उसे कहा कि क्या तू मेरे कारण डाह रखना है हाय कि परमेश्वर के सारे लोग भविष्य बक्ता होते और परमेश्वर अपना आत्मा उन सभों पर डालना। ३० । और भूमा और इसराएल के प्राचीन छावनी में गये। ३१। तब परमेश्वर की ओर से एक पधन निकला और वटेर को ममुद्र से लाया और छावनी पर एसा गिराया जैसा कि एक दिन के मार्ग इधर उधर बावनी की चारों ओर और जैसा कि दो हाथ भूमि के ऊपर ॥ ३२ । और लोग उस दिन और रात भर और उस के दूसरे दिन भी खड़े रहे और बटेर बटोरे जिस ने थोड़े से थोड़ा बटोरा उस ने आधमन के अटकल बरोरा और उन्हें ने अपने लिये तंबू के आस पास फैलाये । जब लो उन के दांन तले मांस था चावने से पहिले परमेश्वर का क्रोध लोगों पर भड़का भार परमेश्वर ने उन लोगों को बड़ी मरी से मारा॥ ३४ । और उस ने उस स्थान का नाम कुइच्छा का ममाधि रक्दा क्योंकि उन्हों ने उन लोगों को जिन्हों ने कुइच्छा किई थी वहीं गाड़ा फिर उन लोगों ने कुच्छा समाधि से हसीरात को यात्रा किई सेो वे इसीरान में रहे।