पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२९५

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१२ प] की पुस्तक । १२ बारहवां पई। मा की तम हबशी स्त्री से ब्याह करने के कारए मिरयम और हारून ने उस पर अपबाद किया क्योंकि उस ने एक हवशी स्त्री से ब्याह किया था ॥ २। और वाले क्या परमेश्वर ने केवल मूमा ही से बात किई हैं क्या उस ने हम से भी बात न किई और परमेश्वर ने सुना ३ । मूसा समस्त लोगों से जो एथिवी पर थे अधिक कोमल था || H | से परमेश्वर ने तत्काल मूसा और हारून और मिरयम को कहा कि तुम तीनों मंडली के तंबू पास आया से वे तीनों प्राय ॥ ५ । तव परमेश्वर मेघ के खंभों में उतरा और तंबू के द्वार पर खड़ा हुआ और हारून और मिरयम को बुलाया वे दोनों आये। ६ । तब उस ने कहा कि मेरी बात मुनो यदि तुम्मे कोई भविश्यहता होवे तो मैं परमेश्वर आप को दर्शन में उस पर प्रगट करूंगा और उससे स्वप्न में बात करूंगा। ७। मेरा दास ममा ऐसा नहीं मेरे सारे घर में विश्वासी है। ८। मैं उरम बाम्ने साम्ने अर्थात् पन्य क्ष बातें करूंगा और गुप्त बातों से नहीं और चुह परमेश्वर के प्राकार को देखेगा सो तुम मेरे सेवक मूसा पर अपवाद करते हुए क्यों न डरे॥ । और परमेश्वर का क्रोध उन पर भड़का और चला गया ॥ १.। तब मेघ तंबू पर से जाता रहा और क्या देखाता है कि मिरयम हिम की नाई वादी हो गई और हारून ने मिरयम की ओर दृष्टि किई ना वह कोली धी॥ २९। तब हारून ने ममा से कहा कि हे मेरे खामो मैं तेरी विनती करता र यह पाप हम पर मत लगा इस में हम ने मूर्खता किई और पापी हुए। १२ । वुह उस मृतक के समान न हो जिस का अाधा मांस अपनी माता के गर्भ से उत्पन्न होते ही गल जाय ॥ १३ । तब मूमा ने परमेश्वर के आगे बिनती करके कहा कि हे ईश्वर मैं तेरी विमना करता हूँ अब उसे चंगा कर॥ २४ । तब परमेश्वर ने मूसा से कहा कि यदि उस का पिता उस के मुंह पर थुकता तो क्या बुह मात दिन लो लज्जित न रहती से सात दिन लो उसे छावनी से बाहर बंद कर उस के पीछे उसे मिला ले। २५ । सेमिरयम कावनी के बाहर मात दिन ले बंद हुई और जब ला