पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/२९७

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१३ पर्ने] को २८ करो और उस देश का कुछ फल ले आया औरर बुह समय दाख के पहिले फलों का था। २१ । सेो वे चढ़ गये और भूमि के भेद को मौन के अरण्य में से रहूब ले जो हमात के मार्ग में है लिया। २२ । और वे दक्षिण की ओर से चढ़े और हबरून को आये जहां अनाक के बंश अखिमान और सौसी और तलमी थे और मिस्र का जुअन हबरून से सात बरस आगे बना था॥ २३ । से वे दूस- काल की नाली में आये वहां से उन्हों ने दाख का एक गुच्छा काटा और उसे एक लट्ठ पर रख कर दो मनुष्यों ने उठाया और कुछ अभार और गलर भी लिये ॥ २४ । उस स्थान का नाम उस गुच्छे के लिये जिसे दूसराएल के संतान वहां से काटलाये घे नाली दूमकाल रक्खा। २५ । सेा वे चालीस दिन के पीछे देश का भेद लेके फिर छावे॥ २६। और फिर के मूसा और हारून और इसराएल के संतानों की सारी मंडली के पास फारान के अरणय में कादिस में आये और उन्हें और सारी मंडली के आगे संदेश दिया धौर उस भूमि का फल उन्हं दिखाया । २७। और उसे यह कहके वर्णन किया कि हम उस देश में जिधर तू ने हमें भजा था गये उस में सच मुच दूध और मधु बहता है और यह वहां का २८। तथापि उस देश के बासी बलवत हैं और उन के नगरों की भी अनि ऊंची हैं और हम ने अनाक के संतान को भी वहां देखा। २८ । और उस भूमि में दक्षिण की और अमालौक बनते हैं और हन्नी और यचूसी और अमूरी पहाड़ों पर रहते हैं और समुद्र के तौर और घरदन के तौर पर कनानी ३.। तब कालिब ने भूमा के आगे लोगों को धीमा करके कहा कि आओ एक साथ चढ़ जाये और बश में करें क्योंकि उस पर प्रबल होने में हम में शक्ति है। ३१। परंतु उस के संगियों ने कहा कि हम उन लोगों का साम्ना करने में दुर्वल हैं क्योंकि वे हम से अधिक बलवंत हैं। ३२ । और वे दूसराएल के सतानों के पास उस भूमि का जिस का भेद लेने को गये थे बुरा संदेश लाये और बोले कि चुह भूमि जिस का भेद लेने हम गये थे ऐसी भूमि है जो अपने वासियों को खा जातो है 37 [A. B.S.]