पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३०२

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गिनतो एक मेंढ़ा अथवा एक एक मेम्ना अथवा एक एक बकरी का मेम्ना याही किया जाये। १२ गिनती के ममान सिद्ध कीजिया हर एक उन की गिनती के ममान ऐसा ही कोजियो। १३ । सब जिन का जन्म देश में हुया आग से परमेश्वर के अानंद के सुगंध के लिये भेंट चढ़ावें तो उसी रीति से इन बातों को मानें ॥ १४। और यदि परदेशी नम्में बास करे अथवा बुह जो तुम्हारी पीढ़ियों से हाये परमेश्वर के आगे सुगंध के लिये आग से भेंट चढ़ावे तो जिस रीति से तुम करते हो वैसा भी करे। १५ । मंडली के लिये और उस परदेशी के लिये जो तुम्में वास करता है तुम्हारौ पीढ़ियों में सदा एक ही विधि होवे परमेश्वर के श्राग जैसे तुम वैसे परदेशी भी हैं ॥ १६ । तुम्हारे चौर परदेशियों के लिये जो तुम्में रहते हैं एक ही व्यवस्था और एक ही रीति होवे ॥ १७! फिर परमेम्बर मूसा से कह के बाला ॥ १८! कि इसरारल के संतानों से कहके बोल कि जब तुम उस देश में पहुंचा जहां तुम्हें ले जाता हूँ॥ २६ । तब ऐसा होगा कि जब तुम उम भूमि पर की रोटी खायो तो परमेश्वर के लिये उठाने की भेंट चढ़ाइयो। २० । तुम अपने पहिले गूदे हुए आटे से एक फुलका उठाने को भेंट के लिये लेगो जैसी खलिहान की भेंट को उठाने हो वैसाही उसे उठाइयो । २९। तुम अपने गूदे हुए पिसान से पहिले अपनी पीढ़ियों में परमेश्वर के लिये उठाने को भट चढ़ाइयो । २२। और यदि तुम चूक किये हो और उन सव श्राज्ञायों को जो परमेश्वर ने मसा से कहीं पालन न करो। २३ ! जिस दिन से परमेश्वर ने तुम्हें प्राज्ञा किई है और अब से आगे लो अपनी पीढ़ियों में समस्त आज्ञा जिन्हें परमेश्वर ने भूमा की ओर से तुम्हें दिई है । तब यों होगा कि यदि कुछ अज्ञानता हो जाय और मंडली न जाने तब समस्त मंडली होम की भेंट के लिये परमेार के सुगंध के लिये एक बछड़ा चढ़ावे उस के भोजन की और पीने की भेंट के साथ रीति के समान और अपराध की भेंट के लिये बकरी का एक मेम्ना ॥ २५ । और याजक दूसराएल के संतानों की सारी मंडली के लिये प्रायश्चित्त देवे और वुह क्षमा किया जायगा क्योंकि अज्ञानता है २४।