पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३१५

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को पुस्तक । २१ पद इसराएल के संतानों को दिया है न पहुँचगा इस लिये कि तुम झगड़े के पानी पर मेरे बचन से फिर गये॥ २५ । हारून और उस के बेट इलिजर को ले और उन्हें हर पहाड़ पर ला॥ २६। हारून के बस्त्र उतार और उन्हें उम के बेटे इलिअजर को पहिना कि हारून समेटा जायगा और वहां मर जायगा। २७। सो जैसा परमेश्वर ने आज्ञा किई थी मूमा ने वैसा ही किया और वे मंडली के आगे हर पहाड़ पर चढ़ गये ॥ २८ । और मूसा ने हारून के बस्त्र उतारे और उन्हें उस के बेटे इलिअजर को पहिनाया और हारून पहाड़ की चोटी पर मर गया और ममा और इलिअजर पहाड़ से उतर आये ॥ २६ । और जब सारी मंडली ने देखा कि हारून मर गया तब इसराएल के मारे घराने ने हारून के कारण तीस दिन ले बिलाप किया। ओर २१ एकौमयां पर्च। र जब राजा अराद कनानी ने जो दक्षिण में बास करता था मुना कि दूसराएल भैदियों के मार्ग से आये तो दूसराएल से लड़ा और उन में से बंधाई किया । २। तब इमराएल ने परमेश्वर को मनौती मानौ और बोला कि यदि तू सच मच इन लेगों को मेरे वश में कर देगा तो मैं उन के नगरों को सर्बथा नाश कर देऊंगा॥ ३ । सो परमेश्वर ने दूसराएल का शब्द सुना और कनानियों को उन के हाथ में सौप दिया और उन्हों ने उन्ह और उन के नगरों को सर्वथा नष्ट कर दिया और उम ने उस स्थान का नाम हरमः ४। फिर उन्हेंा ने हर पहाड़ से लाल ममुद्र की ओर कूच किया जिसने अदूम के देश को घेर लेवं परंतु मार्ग के कारण लेगा का प्राण बहुत उदास डा॥ ५। और लोग ईश्वर के और मसा के विरोध में बोले कि तुम क्या हमें मिस्र से चढ़ा लाये कि हम अरण्य में मरें क्योंकि अन्न जल कुछ नहीं है हमें तो दूम हलकी रोटी से घिन आती है। ६। तब परमेश्वर ने उन लोगों में अग्नि सप भेज जिन्हें ने उन्हें काटा और दूसराएल के बहुत लोग मर गय। ७। दूस लिये लोग मूमा पाम आये और वाले कि हम ने पाप किया है क्योंकि हम ने रकखा।