पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३१६

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। से गिनती परमेश्वर के और तेरे विरोध में कहा है सो तु परमेश्वर से प्रार्थना कर कि हम्म से उन माप को उठा लेधे से। मूमा ने लोगों के लिये प्रार्थना किई॥ ८। तब परमेश्वर ने मूमा से कहा कि अपने लिये एक आग का सर्प ना और एक लटु पर लटका और या होगा कि हर एक डंसा हुआ जब उम पर दृष्टि करेगा जायेगा। ने पीतल का एक सर्य बना के लट्ठ पर रक्खा और यो जया कि यदि सर्प किमो को डंमा तो जब उम ने उस पौनल के सर्प पर दृष्टि किई बुह जोवा ॥ १० । तब दूसराएल के मंतान आगे बढ़े और अबात में डेरा किया॥ ११ ॥ फिर चैबात से कूच किया और अजीअवरीम के वन में जो मोअब के धागे पर्व.र है डेरा किया। १२ । यहां से कूच करके जरद की तराई में डेरा किया ॥ १.३ । वहां से जो चले तो अनून के पार उस बन में जो अमरियों के मिवाने का अव्य है आके डेरा किया क्योंकि अनून मोअय का सिवाना है माअब और अमूरियों के मध्य ॥ १४ । इमौ लिये परमेश्वर के संग्राम की पुस्तक में लिखा है कि उस ने लाल समुद्र में और अनून के नालों में क्या क्या कुछ किया । किया ॥ १५॥ और नालों के धारे के पास जो पार की बस्तियों के नीचे जाता है और मोअवियों के मित्रानों पर है॥ १६ । और वहां से बिअरः को जा कां है जिस के कारण परमेश्वर ने ममा से कहा कि लोगों को एकट्ठ कर कि मैं उन्हें पानी देऊंगा। १.७। उस समय इसराएल ने यह भजन गाया कि हे क्यों उवलो उम का जम देको । २८। अध्यक्षों ने उसे खादा लोगों के महानों ने उसे खादा व्यवस्थादायक के समान अपनी लाठियों से और बन से मत्तनः को गये।। १८ । और मननः से नहलिएल को और नहलिएल से बामात को २० । चार बामात को तराई से जा माधब के देश में है पिमग: की चोटी लो जहाँ से जसमन का और देखाता था। २१ । और इमराएल ने अमूरियों के राजा सैहन के पाम यह कहके दूत भजे ॥ २२ । कि हमें अपने देश से निकल जाने में हम खतों और दाखों की वारियों में न पैठेगे न हम करें का पानी पीवंगे परंत राजमार्ग से चले जायेंगे यहां ले कि तेरे मित्रानों से बाहर हो जायें।। a