२१ पब्बे २५ । सो की पुरूक २३। पर मैहन ने दूसराएल को अपने सिवानों से जाने न दिया परंतु अपने लोगों को एकट्ठ करके इसराएल का साम्बा करने को अरण्य में निकला और जहाज में पहुंचके दूसराएल से ग्राम किया। २४ । और इमरापन्न ने उन्हें खड्ग की धार से मार लिया और उन के देश पर अनन से लेके यब क ले अर्थात् अन्मन के संतान लो वश में किया क्योंकि अम्मन के संतानों का सिवाना दृढ़ था। इमराएल ने ये सब नगर ले लिये और अमरियों के सब नगरों में और हमबन में और उस के सारे गायों में वास किया। २६ । क्योंकि हमबून अनूरियों के राजा मैहून का नगर था जो माअव के अगले राजा से लड़ा और उम का समस्त देश अनेन लो उस के हाथ से ले लिया। २७। इमो लिये दृष्टांतवक्ता ने कहा है कि हम्बन में आग सहन का नगर बम जाय सिद्ध होय ॥ २८। क्योंकि प्राग हसबन से निकन्नी लवर सैहन के नगर से जिस ने मानब के भार को और अनून के ऊंचे स्थान के प्रधानों को भस्म किया॥ २६ । हे माअब तुझ पर संताप हे कलम के लोगो तुम नाश जर उस ने अपने बच हुए बेटों को दे दिया और अपनी बेटियां अमरियों के राजा मेहून के बंधुबाई, में कर दिई । ३० । उन का दीया हसबन से लेके देवून लो युझ गया और नफह लो जो मेदिबा के पास है उजाड़ दिया ॥ ३१ ॥ ॥ यां इमराएलियों ने अमरियों के देश में बाम किया। ३२। फिर मूमा ने यअजीर का भेद लेने को भेजा उन्हों ने उम के गायों को लिया और छमूरियों को जा वहां ये हांक दिया ॥ ३३। तब वे फिरे और बसन की बार चढ़े और बसन के राजा जज ने अपने मब लोग लेके के लिये अदिबई में संग्राम के लिये उन का सामना किया ॥ ३४। तब परमेश्वर ने मूमा से कहा कि उस से मत डर क्योंकि मैं ने उसे और उम के ममम्त लोगों को और उम के दश को तेरे हाथ में माप दिया से तु उन से वैमा कर जैमा तूने अमरियों के राजा मेहून से किया जो हसबुन में ३३ । सेो उन्हों ने उसे और उम के बेटी और सारे लोगों को यहां लों मारा कि कोई जोता न छूटा और उस के देश में वाम किया। रहता था।