पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२२ पन्न को पुस्तक क्योंकि परमेश्वर मुझे तुम्हारे साथ जाने नहीं देता ॥ १४ । से मेरअब के अध्यक्ष उठे और वत्तक पाम गये और बोले कि बलाम ने हमारे माथ आने को नाह किया है। १५ । तब बलक ने उन से अधिक और प्रतिष्ठित अध्यक्षों को फिर भेजा। १६ । और उन्हों ने आके वल्लाम कहा कि सफर के बेटे बलक ने यों कहा है कि मुझ पास आने में श्राप को कोई रोकने न पावे ॥ १७। क्योंकि मैं आप को अति बड़ी प्रतिष्ठा करूंगा और जो कुछ श्राप मुझे कहेंगे मैं करूंगा मैं आपकी बिनती करता है कि आइये उन लोगों को मेरे निमित्त साप दीजिये नब बलश्राम ने बलक के सेवकों से उत्तर दे के कहा कि यदि बलक अपना घर भर के चांदी सोना देवे तो मैं परमेश्वर अपने ईश्वर के वचन को उल्लंघन करके घट बढ़ नहीं कर सक्ता ॥ १९से अब तुम लोग भी यहां रात भर रहो जिमतं मैं देखू कि परमेश्वर मुझ अधिक क्या कहेगा। २.। फिर ईश्वर रात को बलाम के पास आया और उसे कहा कि यदि थे मनुष्य तुझे बुल्ताने आवे तो उठ के उन के साथ जा पर जो बचन मैं तुझे कई सेाई कहियो ॥ २१ । सेा बलश्राम विहान को उठा और अपनी गदही पर काठी रकवी और मोअब के प्रधानों के साथ गया । २२। और उस के जाने के कारण ईश्वर का क्रोध भड़का और परमेश्वर का दूत बैर लेने को उम के सन्मुख मार्ग में खडा हुआ से वह अपनी गदही पर चढ़ा हुअा जाता था और उस के दा सेवक उस के साथ थे॥ २३ । सो गद ही ने परमेपर के दूत को अपने हाथ में तलवार खोंचे हुए मार्ग में खड़ा देखा तब गदही माग से अलग खेत में फिर गई तब उसे मार्ग में फिरने के लिये बलाम ने गदही को मारा ॥ २४ । तब परमेश्वर का दूत दाख को बारियां के पथ में खड़ा हुआ था जिस के इधर उधर भौत यौ॥ २५ । और जब परमेश्वर के दूत को गदहीं ने देखा उस ने भीत में जा रगड़ा और बनाम का पांव भीत से दवाया और उम ने उसे फिर मारा।२६। तब परमेश्वर का दूत आगे बढ़ के एक संकेत स्थान में खड़ा हुआ जहां दहिने बायें फिरने का मार्ग न था २७। और गदही परमेश्वर के दूत को देख के वनाम के नीचे बैठ गई तब बलाम का क्रोध भड़का और उम् ने