पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३२

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२२ उत्पनि [१३ पर्छ यात्रा करने दक्खिन से बैतएल लो उसी स्थान को प्राया जहां आरंभ में उस का तंब था बैतएल और अई के मध्य में । ४। उस बेदी के स्थान में जिसे उम ने पहिले वहां बनाया था और वहां अबिराम ने परमेश्वर का नाम लिया। ५। और अबिराम के संगौ लूत के भी झुंड और गाय बैन और तंबू थे ॥ ६ । और साथ रहने में उस देश में उन की ममाई न हुई क्योंकि उन की मामग्री बहुत थी इम् लिये वे एकटे निबास न कर सके ॥ ७। और अबिराम के ढोर के चरवाहों में और के ढोर के चरवाहों में झगड़ा हुआ तब कनानी और फरजी उस भूमि में रहते थे। ८। तब अविराम ने लूत से कहा कि मेरे और तेरे बीच और मेरे चरवाहों में और तेरे चरवाहां में झगड़ा न होने पावे क्योंकि हम भाई हैं । । क्या मारा देश तेरे आगे नहीं मुझे अलग हो जो तू बाई और जाय तो मैं दाहिनी ओर जाऊंगा अथवा जोत दाहिनी ओर जाय तो मैं बाई ओर जाऊंगा ॥ १.। तब लूत ने अपनी आंख उठाके अर्दन के सारे चौगान को देखा कि ईश्वर को नष्ट करने से आगे बुह सर्वत्र अच्छी रीति से सौंचा हुश्रा था अर्थात् परमेश्वर की बारी के समान सुग्र के मार्ग के मिस की नाई था ॥ ११॥ तब लूत ने अर्दन का सारा चौगान चुना और पूरब की ओर चला और वे एक दूसरे से अलग हुए ॥ १२ ॥ अविराम कनान देश में रहा और लूत ने चौगान के नगरों में बाम किया और सटूम को और तंबू खड़ा किया ॥ ५३ । पर मदम के लोग परमेश्वर के आगे अत्यंत दुष्ट और पापी थे। १४। तब लूत के अलग होने से पीछे परमेश्वर ने अविराम से कहा कि अब अपनी आंखें उठा और उस स्थान से जहां तू हैं उत्तर और दक्खिन और पूरब और पच्छिम की ओर देख ॥ १५ । क्योंकि मैं यह सारा देश जिसे तू देखता है तुझे और तेरे वंश को मदा के लिये देऊंगा ॥ १६ और मैं तेरे बंश को एथिवी को धूल के तुल्य कहंगा यहां ला कि यदि कोई पृथिवी की धूल को गिन सके तो नेरा वंश भी गिना जायगा। १७। उठके देश की लंबाई और चौड़ाई में होके फिर क्योंकि मैं उसे तुझे देऊंगा॥ १८। तब अविराम ने तंबू उटाया और ममरे के के सदम और अमूर