पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३२३

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की पुस्तक २४ पई चोटी पर जा जशमन के सन्मुख है लाया॥ २६ । वहां बलाम ने बलक से कहा कि मेरे लिये यहां सात बेदी बना और मेरे लिये सात बैल और सात मेंढ़े सिद्ध कर॥ ३० । जैसा बलाम ने कहा था बलक ने वैसा किया और हर एक बेदी पर एक बैल और एक गेंढ़ा चढ़ाया। २४ चौबीसवां पर्छ । •ब बलाम ने देखा कि इसराएल को आशीष देना ईश्वर को अच्छा लगा तब वुह अब को आगे की नाई नहीं गया कि टोना करे परंतु उम ने अपने मूह को बन की ओर किया। २। और बलाम ने अपनी अांखें उठाई और इसराएल को देखा कि अपनी अपनी गोष्ठियों के समान बसे हैं तब ईश्वर का आत्मा उस पर उतरा। ३। उस ने अपने दृष्टांत उठाके कहा कि बघूर के बेटे बलान ने कहा है और बुह मनुष्य जिस की आंख खुली हैं बोला है। ।। जिस ने ईश्वर के वचन को सुना है और मर्वशक्तिमान ईश्वर का दर्शन पाया है से पड़ा है परंत आंखें खुली हैं उस ने कहा है ॥ ५ । क्या ही सुंदर हैं तेरे तंबू हे यत्रकब और तेरे निवास स्थान हे इसराएल वे तराई की नाई और नदी के निकट की बारियों को नाई और जैसे अगर के वृक्ष जिसे परमेश्वर ने लगाया है और जैसे पानी के निकट के आरजह क्ष हेाव फैले हुए हैं ॥ ७॥ वह अपनी मोट से पानी बहावेगा और उस का बीज बहुत से पानियों में होगा उम का राजा अगाग से बड़ा होगा और उस का राज्य बढ़ जायेगा। ८। ईश्वर उसे मिस से बाहर निकाल लाया उस में जड़े का सा बल है अपने शत्रु के देशियों को भक्षण करेगा और उन की हड्डियों को चूर करेगा और अपने बाणां से उन्हें छ देगा॥ । बुह अकता है और सिंह की नाई हां महासिंह की नाई तेरा है उसे कौन के ड सक्ता है धन्य है बुह जो तुझे आशीष देवे नापित है बुह जो तुझे नाप देवे॥ १० ॥ नब बलक का काध बलधाम पर भड़का और उस ने अपने दोनों हाथों से थपाली पौटो और बलक ने बलाम से कहा कि मैं ने तो तुझे अपने बैरौ को नाप देने को बुलाया और देख तूने तीन बार उन्हें सर्वेया आशीष दिया है॥ ११। चल अब अपने स्थान को भाग मैं ने तेरी बड़ी