पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३२४

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गिनती [२४ पर्व प्रतिष्ठा करने चाहा था पर देख परमेश्वर ने तो प्रतिष्ठा से रोक रकवा। १२ । बलश्राम ने बलक से कहा कि मैं ने तेरे हतो कर जिन्हें त ने मेरे पास भेजा था नहीं कहा॥ १३ । कि यदि बलक अपना घर भर चांदी सेना मुझे देवे में भला अथवा बुरा करने में परमेश्रर की आज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सक्ता परंतु जो कुछ परमेश्वर कहे मैं वही कहंगा॥ १४ । अब दुख में अपने लोगों में जाता हूं था मैं तो मंदेश देऊंगा कि ये लोग तेरे लेगों से पिछले दिनों में क्या करगे।१५। फिर उस ने अपने दृष्टांत उठाके कहा और बोला कि घर का पुत्र बलाम कहता है और बुह मनुष्य जिस की आंख खुली हैं कहता है। १.६ ! वही जिस ने ईश्वर के वचन को मुना है और अत्यंत महान के ज्ञान को जाना है और जिम ने सर्वशक्तिमान का दर्शन पाया है जो पड़ा है परंतु उस की श्रांख खुली हैं। १७ । मैं उसे देखूगा पर अभी नहीं मेरी दृष्टि उस पर पड़ेगी पर निकट से नहीं यय व से एक तारा निकलेगी और इमरायण से एक राजदंड उठेगा और गोअव के कोनों को मार लेगा और सेत के सारे संतान को नाश करेगा॥ १८। अदम अधिकार होगा और शीर भी अपने शत्रुन के लिये अधिकार होगा और इमराएल वीरता करेगा। १६ । बुह जो राज्य पावेगा से यअकब से निकलेगा और जो नगर में बच रहेगा उसे नाश करेगा। २० । फिर उस ने अमालीक को देखा और अपना दृष्टांत उठाया और कहा कि अमालीक लोगों में पहिला था परंतु अंत में बुह नाश होगा। २१ । फिर जस ने कौनियां पर दृष्टि किई और अपना दृष्टांत उठाया और कहा कि तेरा निवास दृढ़ है तू पहाड़ पर अपना खाना बनाता है। २२ । तथापि कैनी उजाड़ किये जायेंगे यहां लो कि असूर तुझे बंधुआई में ले जायेगा। २३। फिर उन ने अपना दृष्टांत उठाया और कहा कि हाय कौन जीता रहेगा जब ईमार याहीं करेगा। तीर से जहाज आवगे और अखर को पौर इब्र को सतावेंगे और वह भी सर्वथा जाश होवेगा तब बन्लाम उठा और चला और अपने स्थान को फिर गया और बनक ने भी अपना नार्गनिया। २४ कित्ती के