पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३३६

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[३० पद ३२ गिनती और अपने कुशल की भेटों के अधिक तम इन्हें अपने टहराये हुए पी में कौजियो॥ ४ . । और मूमा ने परमेश्वर की समस्त प्राज्ञा के समान इसराएल के संतानों से कहा। ३० तौमा पर्छ । या ह बुह बात है जो परमेश्वर ने मूमा को आज्ञा किई थी और मूसा २। यदि कोई पुरुष परमेश्वर की मनौती माने अथवा किरिया खाके अपने प्राण को बंधन में करे तो बुह अपनी वाचा को न तोड़े परंतु जो कुछ उस ने अपने मुंह से कहा है संपूर्ण करे ॥ ३। और यदि कोई स्त्रो परमेश्वर की मनौती माने और अपनी लड़काई में अपने पिता के घर में होते हुए आप को वाचा में बांधे॥ ४। और उस का पिता उस की मनौती और उस की बाचा जिस्म उम ने अपने प्राण को बांधा है सुन के चुप हो रहे तो उस की मब मनौतियां और हर एक बाचा जिसमे उस ने अपने माण को बांधा स्थिर रहेगी। ५ । परंतु यदि उस का पिता सुनते हुए उसे मान्ने म देवे तो उस की कोई मनौती और कोई बाचा जो उस ने अपने प्राण को उरसे बांधा न ठहरेगी और परमेश्वर उस स्त्री को क्षमा करेगा क्योंकि उम के पिता ने उसे मान्न न दिया । ६ । और जब उस ने मनौती मानी अथवा अपने मह से अपने प्राण को किमी बाचा से बांधा और यदि उस का पति हो ॥ ७। और उस का पनि सुन के उस दिन चुपका हो रहा उम की मनौतियां ठहरेंगी और उसकी बाचा जिन से उस ने अपने प्राण को बांधा ठहरेगी। ८1 परंतु यदि उस का पति सन के उसी दिन उम ने उसे मान्ने न दिया हो तो उस ने उस की मनौती को जो उस ने मानी और उस को बाचा का जो उस ने अपने मंह से अपने प्राण को उरम बांधा था किया तो परमेश्वर उस स्त्री को क्षमा करेगा । परंतु विधया और व्यक्त स्त्री अपनी हर एक मनाली जिसे उन्होंने अपने प्राण को बांधा उन पर बनी रहेगी। १० । और यदि उस ने अपने पति के घर होते हुए कुछ मनौती मानी हो और किरिया करके किसी बाचा में आप को बांधे हो ॥ ११। उस का पनि