पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३४०

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[३२ पल ४६। और गिनतो में से हर पचास जीवधारी पीके मनुष्य और पशु से एक एक लिया और उसे लावियों को जो परमेश्वर के तंबू की रक्षा करते थे दिया ॥ ४८ । नब सेना के सहस पति और शत पनि मसा के पाम आये॥ उन्हों ने ममा से कहा कि तेरे सेवको ने समस्त थोडायों को जो हमारी आज्ञा में हैं गिना और उन में से एक पुरुष भी न घटा ॥ ५० । सेो हम हर एक बस्न में से जो हर एक ने पाई. परमेश्वर के लिये भेट लाये हैं सोने के गहने और मीकर और कड़े और अंगठियां और बालिया चौर जंत्र जिमत हमारे प्राणों के लिये परमेश्वर के श्रागे प्रायश्चित हेरचे ॥ ५१ । सो मूसा और इलिअजर याजक ने सोने के बनाये हुए समस्त गहने उन से लिये॥ ५२। और भेट का सब सेाना जा महस्त्र पति और शत पतिन ने परमेश्वर के लिये चढ़ाया से मन आठ एक का था॥ ५३। क्योंकि योचि में से हर एक जन अपने अपने लिये लूट लाया था॥ ५४ । से मसा और लिजर याजक उस सेोने को जो उन्हों ने सहस्रां और सैकड़ों के प्रधानों से लिया मंडली के तंबू में लाये जिसने परमेश्वर के भागे दूसराएल के संतानों का स्मरण हो। ३२ बत्तीसवां पई। व रुबिन और जद के संतानों के ढोर अति बहत ये से। जब उन्हों अभबजार और जिलिद के देश को देखा कि ठोर के लिये बहुत अच्छा २। तो उन्हों ने आके मसा और इलिअजर याजक और मंडली के अध्यक्षों से कहा ॥ ३ । कि अतरात और देवून और यअजीर और तिमरः और हसवन और इलाली और शवाम और नव और बजन का देश ॥ ४। जिसे परमेश्वर ने इसराएल को मंडली के अागे मारा टार का देश और तेरे दासों के ढार हैं । कारण उन्हों ने कहा यदि आप की दृष्टि में हम लोगो ने अनग्रह पाया है तो इस देश को अपने सेवकों के अधिकार में दी जये और हमें परदन पार न ले जादूये ॥ ६ । मसा ने जद के संतान और रूबिन के सनान से कहा कि क्या तुम्हारे भाई लड़ाई करने जावे और तुम यहीं बैठे ५। इस रहेगे।