पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३४८

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३४. गिमती [३५ पच्च और टा सहस्र हाथ और उत्तर की ओर दो महन हाथ और उन के मध्य में घ उन के लिय नगरों के उप नगर होंगे। ६। और उन नगरों के मध्य में जा तुम लाबियों को देयोगे छः नगर शरण के लिये होवें जिसे तम घातक के लिये ठहराओ और उन में बयामी नगर और भी मिला देशो॥ ७। सारे नगर जो तुम लावियों को दोगे अठतालीम नगर उन के उप नगर सहित ॥ ८। और जो नगर तुम दोगे से इसराएल के संतानों के अधिकार में से बहुत में से बहुत दीजिया और थाड़ में से थोड़ा मब कोई अपने अधिकार के ममान अपने नगरो में से जो उम के अधिकार में है लात्रियों को दौजियो ॥ । फिर परमेश्वर मसा से कहके बाला॥१.। कि इसराएल के संतानों को आज्ञा कर और उन्ह कह कि जब तुम यरदन पार कनान के देश में पहुंचे। ॥ ९१ । तब तुम अपने लिये नगरों का शरण नगर के कारण ठहरा जिसत वुह घातक जिला अनजाने घात हो जाय भाग के वहां जा रहे ॥ १२। और त्रुह तुम्हारे लिये पलरा दायक से शरण नगर होगा और घातक जब ले विचार के लिय मंडली के आगे खड़ा न होवे मारा न जाय। नगर तुम देओगे उन में छः नगर शरण के लिये होंगे। १४ । बरदन के दूम पार तीन नगर दीजियो और कनान के देश में तीन नगर दौजिया ये शरण मगर होंगे। १५ । ये छ : नगर दूसराएल क मनाने और परदेशी और उन के कारण जो तुम्में रहते हैं शरण के लिये होग कि जो कोई अनजाने किमो को मारे उधर भाग जाय ॥२६ । और यदि काई किसी को लोहे के हथियार से मारे एसा कि त्रुह मर जाय तो बुह घातक है घातक अवश्य घात किया जायगा॥ १७। और यदि कोई किसी को एसा पत्थर फेक मारे कि बुह मर जाय तो वुह घातक है घातक अवश्य म.र खाला जाय ॥ १८। अथवा कोई किसी का ऐसा ल ठ मारे कि वुह मर जाय तो वुह घानक है घातक अवश्य वात किया जाय॥ १६ । लोह का पलटा दायक वहीं घातक को श्राप ही उसे घात करे जब वुह उसे पावे उसे मार डाले ॥ २० 1 और यदि कोई किसी को डाह से ढकल देवे अथवा दांव'वात से उसे पटक देवे कि वह मर जाय॥ २१॥ अथवा बेरी का हाथ से मारे कि बुह मर जाय तो जिस ने उसे मारा बुह निश्चय मारा जायगा मारे हुए १३ । सेोजा जो