पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३५५

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२ पद] की पुस्तक होके कहा कि त भो उम में पत्रेश न करेगा॥ ३८। परंतु नून का बेटा यहूच जो तेरे आगे खडा रहता है उस में प्रवेश करेगा त उसे उभाड़ क्योंकि वह इमराएल को उस का अधिकारी करेगा ॥ ३६ । और तम्हारे बालक जिन्हें तुम ने कहा था कि अहेर हो जायगे और तुम्हारे लड़के जिन्द भले बुरे का ज्ञान तब न था वहां मवेश करगे और मैं उन्हें देऊंगा और वे उस के अधिकारी हागे । ४ । परंतु तुम फिरो और लाल के मार्ग से बन में यात्रा करो ॥ ४१ । तब तुम ने मुझे उत्तर द के कहा कि हम ने परमेश्वर का अपराध किया है सो हम चढ़ जायेंग और जैसी कि परमेश्वर हमारे ईश्वर ने हमें आज्ञा किई है हम लड़ेगे फिर तम सब के सब हथियार बांध के सिङ्गजए कि पहाड़ पर चढ़ जाय॥ ४३ तब परमेश्वर ने मुझे कहा कि तू उन्हें कह कि मत चहा और युव न करो क्योंकि मैं तुम्म नहीं हं न हो कि तुम अपने बैरियां के आगे मारे जाओ। ४३ । सो मैं ने तुम्हें कह दिया और तुम ने न सुना परंतु परमेश्वर की आज्ञा से फिर गये और मगराई से पहाड़ पर चढ़ गये ॥ ४ ४ । तब अमू रियों ने जो उस पहाड़ पर रहते थे तुम्हारा सामना किया और मधु माखियों की नाई 'तुम्हें रंगेहा और शीर में इरमः लो तुम्हें मारा॥ ५५ । तब तुम फिरे और परमेश्वर के योग रोये परंतु परमेश्वर ने तुम्हारी न सुनी और न तुम्हारी और कान धरा तब तुम कादिन में बहुत दिन ला रहे। पर्छ । २ दूसरा व जैसी परमेश्वर ने मुझे आज्ञा किई थी हम फिरे और स्नान तम ममुद्र के मार्ग से बन में यात्रा किई और बहुत दिन लो शीर पर्वत को घेरा॥ २। फिर परमेश्वर मुझे कहके बोला ॥ ३। कि तुम ने इस पचैत को बहुत दिन लो घेरा अब उत्तर की ओर जानो। और लोगां मे कह कि तुम अपने भाई एसौ के संतान के मिवाने से चलते हो वे पापोर में रहते हैं वे तुम से डरग से। तुम श्राप से नोकस रहेर ॥ ५ ॥ और उन्ह मत छेड़ा क्योंकि मैं उन को भूमि से एक पैर भर भी तुम्हें न देऊंगा इस कारण मैं ने शऔर पर्वत एसी के अधिकार में दिया है ॥ ६ ॥ तम खाने के लिये उन से जन मोल लौजियो और पीने के लिये दाम