पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३५६

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[२ पर्व बिवाद दके जल भी मोल लीजियो॥ । क्योंकि परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तेरे हाथ के सब कार्यों में तुझे श्राशीघ दिया है बुह दूम महा बन में तरा जाना जानना है दून चालीम बरम भर परमेश्वर तेरा ईश्वर तेरे साथ है तो किसी बात को घटी न हुई। ८। और जब हम अपने भाई मी के संतान से जो शऔर में रहते थे चौगान के मार्ग में से और अमयनजब से होके चत्ने गये नो हम फिरे और माअब के बन के मार्ग में से आये। । तब परमेश्वर ने मुझे कहा कि मानविय को मत छेड़ चार उन से मत झगड़ क्योंकि उन के देश का अधिकारी तुझे न करूंगा म कारण कि मैं ने पार को नून के संतान के अधिकार में दिवा है ।। १० । वहाँ आगे मीम रहते थे वे बड़े बड़े और बनत और लम्ब लम्ने अनाकियों के समान थे ॥ ११ । वे भी अनाक के संतान के समान दानव में गिने जाते थे परंतु माश्रयी उन को चौमीम कहते हैं । १२ । परंतु आगे शौर में हरीम रहने के और एमो के संतान उन के अधिकारी हुए और उन्हें अपने भाग मिटा डाला और उन के स्थान पर बसे जैसा मराएल के संतान ने अपने अधिकार के देश में किया जो परमेश्वर ने उन्हें दिया था। १.३। अब उठो और जरद की नाली पार होओर से हम जरद को नाली के पार उतर गये । १४ । और जब से हम में करदिशबरनी को छोड़ा और जर की नालौ के पार उतरे अठतीस बरस जए जब लो कि लड़ांक को समस्त पौढ़ी सेना में से घट गई जैसी परमेश्वर ने उन से किरिया खाई थी। १५ । क्योकि निश्चय परमेश्वर का हाथ उन की विरुङ्कता में था कि सेना में से उन्हें नाश करे यहां लो कि वे भस्म हो गये॥ १६। सो ऐसा था कि जब समस्त लडाके मिट के लेागों में से भर गये। १७१ तब परमेश्वर मुझे कहके बोला॥ १८१ कित श्राज आर में होके जो मोअब का सिवाना है चला जायगा॥ १६ और जब तू अम्मन के संताग के अाम्ने मान्ने था पहुंचे तो उन्हें दुःख न दे और न उन्ह छेड़ क्योंकि मैं अम्मन के संतान के देश में तुझे अधिकार नहीं देने का इस कारण कि मैं ने उसे लत के संतान के अधिकार में दिया है। भी दानव का देश कहाना था आगे वहा दानब रहते थे और अपनी उन्हें जज मी कहते थे॥ २२। वे बहुत और