पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३५७

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साम्ना करो। वचन कहला 0 की पुस्तक॥ ३४४ लम्बे लम् अनाकियों के समान थे परमेश्वर ने उन्हें उन के आगे नाश किया सो उन्हों ने उन्हें निकाल दिया और उनके स्थान पर बसे । २२। जैमा उस ने ऐसे के संतानों से किया जा शीर में रहते थे जब उम ने हरीयों को उन के आगे से नाश किया से। उन्हों ने उन्हें निकाल दिया और उन के स्थान पर आज लेां बसे हैं । २३ । और अबीयों को भी जो इसरैम में रहते थे और कफतूरी जो कफ़तूर से आये उन्हें नाश किया और उन के स्थान में बसे ॥ २४ । तुम २४ ! तुम उठा चलो अरनून के पार जागा देखा में ने हमबून के राजा अमूरी सैहन को उम की भूमि सहित तुम्हारे हाथ में दिया है सो अधिकार लेने को प्रारंभ करो और लड़ाई में उन का २५ । आज के दिन से मैं तम्हारा डर और भय उन जाति गणों पर डालूंगा जो सारे आकाश के नीचे हैं वे तुम्हारी मुधि पायेंगे और घबराये गे और तुम्हारे आगे धर्थरा जायगे॥ २६ । नव मैं ने कदौमात से हसबून के राजा सहन पास दूतों से मिलाप का यह भेजा २७॥ कि तू अपने देश में से मुझे जाने दे में राजमार्ग में होके जाऊंगा और मैं दहिने बायें हाथ न मुडगा। २८। खाने के लिये दाम लेके मुझे अन्न जल दीजियो केवल में पांव परेव चला जाऊंगा। २८ । जिस रीति से कि एमी के संतान ने जो शऔर में रहते हैं और माअभियों ने जो भार में बसते हैं मुझ से किया जिसने हम यरदन के पार उस मि में पहुंचे जो परमेश्वर हमारा ईश्वर हमें देता है॥ ३० । परंतु हसबून के राजा सैहन ने हमें अपने पास से जाने न दिया क्योकि परमेश्वर तेरे ईश्वर ने उस के आत्मा को कटोर और उसके मन को ढीठ कर दिया जिसने उसे आज के समान तेरे हाथ में देवे॥ ३१ । फिर परमेश्वर ने मुझसे कहा कि देख मैं ने सै हून को उस के देश सहित तुझे देना भारंभ किया न अधिकार लेना प्रारंभ कर जिस तू उस के देश का अधिकारी हाये॥ ३२। तब मेहन अपने सारे लोग लेके यहम में लड़ने का निकल आया ॥ ३३ । सेर परमेश्वर हमारे ईश्वर ने उसे हमें मप दिया और हम ने उसे और उस के बेटे और उस के सब लोग को मारा॥ ३४। और हम ने उसौ ममय उस के ममस्त नगरों को ले लिया और हर एक नगर के पुरुष