पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३६०

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[ पन्चे ३५२ विवाद राजायों से किया परमेश्वर उन सब राजानों से जहां जहां न जायगा वैसा करेगा ॥ २२ । तुम उन से मत डरिया क्योंकि परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर तुम्हारे लिये लड़ेगा ॥ २३ ॥ तब मैं परमेश्वर के आगे गिड़गिड़ाया और बोला ॥ २४ । कि हे प्रभु ईश्वर तू ने अपनी बड़ाई और अपना सामर्थी हाथ अपने दास को दिखाने का प्रारंभ किया है क्योंकि खर्ग में अथवा एथियों में कानमा ईश्वर है जो तेरे कार्य और तेरी सामर्थ्य के समान कर सके ॥ २५ । मैं तेरी बिनती करता हूं कि मुझे पार जाके उस अच्छे देश को देखने दे जो घरदन के पार है यह सुंदर पर्वत और लुबनान॥ २६ । परंतु परमेश्वर तुम्हारे कारण मुझ से क्रुद्द डबा औरर उस ने मेरौ न सुनौ और परमेश्वर ने मुझे कहा कि वही बस है उस विषय में फेर मुझ से मत कह ॥ २७। पिसगः कौ चोटी पर चढ़ जा और अपनी प्रांख पशिम और उत्तर और दक्षिण और पूर्व की ओर उठा और अपनी आंखों से देख क्योंकि तू इस यरहन के पार न जायगर॥ २८। पर यह सूत्र को आज्ञा कर और उसे हियाव दे और उसे दृढ़ कर क्योंकि बुह इन लोगों के आगे पार जायगा और वही उन्हें उम देश का जो न देखता है अधिकारी करेगा ॥२९ । सेर हम तराई में फागर के सन्मुख रहे। चौथा पर्य। अब हे इसराएल के संतान जो विधि और विचार मैं तन्हें मिखाता हूँ सुनो और उन पर ध्यान करो जिसने और उस देश में जो परमेश्वर तुम्हारे पितरों का ईश्वर 'तुम्ह देता है पहुंच के उस के अधिकारी हो। २। तुम उस बात में जो मैं तुम्हें कहता हूं कुछ मत मिलाइयो न घाइया जिसने अपने ईश्वर की आज्ञाओं को जा मैं तुम्ह आज्ञा करता हूँ पालन करो॥ ३ । जो कुछ कि परमेश्वर ने वअल फगर से किया तुम ने सब अपनी आंखों से देखा क्योंकि उन सब पुरुषां को जिन्हों ने बअल फायर का पीछा किया परमेश्वर तुम्हारे ईश्वर ने तुम में से नष्ट किया ॥ ४ । परंतु तुम जो परमेश्वर अपने ईश्वर से लवलीन हो रहे हो से तुम में से हर एक आज लो जीता है। ५। देखो मैं ने विधि और विचार जिस रीति से तुम परमेश्वर