पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३६३

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को पक्तक ४ पब्वै] २५५ पत्यर के जो न देखने न मुनते न खाते न मुंचते हैं। २९ । पर वहां भी जब त परमेश्वर अपने ईश्वर की खोज करेगा यदि तू अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से उसे ढूंढ़गा तो उसे पायेगा॥ ३० । जव नू कष्ट में होगा और ये सब अंटा के दिनों में तुझ पर आ पड़ें यदि तू परमेश्वर अपने ईश्वर की और फिरेगा और उस का शब्द मानेगा॥ ३१ । क्योंकि परमेश्वर तेरा ईश्वर दयाल है वुह तुझे न छोड़गा न तुझे नष्ट करेगा और तेरे पितरों को बाचा को जो उस ने उन से किरिया खाई है न भले गा॥ ३२। क्योंकि अगले दिनों से जातक से आगे हो गये उस दिन से जब मनुष्य को परमेश्वर ने यिबी पर उत्पन्न किया और वर्ग की एक अलंग से ले के दूसरी लो पो यदि ऐसो बड़ी बात कभी हुई अथवा उस के मनान मुनो गई। ३३ । कि कभी लोगों ने परमेश्वर का शब्द मुना था कि भाग में से बाले जैसा त ने सुना और जीता है।। ३४ । अथवा कभी ईश्वर ने इछा किई कि जाके एक जातिगण को जातिगण के मध्य में से परीक्षा से और लक्षण से और लड़ाई से और सामर्थी हाथ से और बढ़ाई हुई भुजां से और बड़े बड़े भय से अपने लिये लेवे जिस रोनि से परमेश्वर तुम्हारे ईश्वर ने तुम्हारी आखों के साम्न मिस्र में तुम्हारे लिये किया ॥ ३५ । यह मब तुझे दिखाया गया जिसत त जाने कि परमेश्वर वही ईश्वर है उसे छोड़ कोई नहीं है। ३६ । उस ने अपना शब्द ख में में से तुझे सुनाया जिसने तुझे सिखावे और एयित्री पर जप्स ने तुझे अपनी बड़ी भाग दिखाई और तू ने उस का बबन बाग में से सुना ॥ ३७। और इस कारण कि उन ने तेरे पितरों से प्रम किया उस ने उन के पौके उन के वंश को इस कारण चुन लिया और अपनी बड़ी सामर्थ्य से तुझे मित्र से अपनी दृष्टि के बाग निकाल ३। जिमन तेरे आग से जातिगणां को जा तुझ से बड़े और बलवंत है दूर करे और तुझे लाये और उन के देश का अधिकारी करे जैसा आज के दिन है। ३८ । से। आज के दिन जान और अपने मन में से।च कि परमेश्वर ऊपर ख में और नीचे एथिवी में वही ईश्वर है और कोई नहीं है। ४ । सेतू उस की विधि और उस की आज्ञाओं को जो आज मैं तुझे कहता हूं पालन कर जिमतें तेरे और मेरे पीके नाया।