पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३६५

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पुसक। ५ पत्र ३५७ का बचन तुम्हें मुनाया क्योंकि तुम आग के कारण से डर गये और पहाड़ पर न चले ॥ ६ । मैं परमेश्वर नेरा ईम्पर जा तुम्ह मित्र के देश से और सेवकाई के वर से बाहर लाया। ७। मेरे अाग नेरा कोई दूसरा ईश्वर न होवे। अपने लिये खादी हुई मनि किमी का रूप जो ऊपर वर्ग में अथवा नीचे पृथियो पर अथवा एथिवी के नीचे पानियां में है मत बना॥ (न । उन्हें दंडवत न करना न उन की सेवा करना क्योकि में परमेश्वर तेरा ईश्वर चलित ईश्वर हूं जो पितरों के अपराध का प्रतिफल बालकों पर नीमरो चौथी पीढ़ी लेां जा मुझ से बैर रखते हैं देता हूं। १० । और महनां पर जा मुझ से प्रेम रखते हैं और मेरी अाज्ञाओं को पालन करते हैं दया करता हूं ॥ ११॥ तू परमेश्वर अपने ईश्वर का नाम अकारथ मत लेना क्योकि जो उस का नाम अकारथ लेता है परमेश्वर उसे निर्दोष न ठहरावेगा ॥ १२ । विश्राम दिन को पवित्र के जिये धारण कर जैसी परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे आज्ञा किई है। १३ । कः दिन लो परिश्रम करना और अपने समस्त कार्य करना॥ १४ । परंतु सातवां दिन परमेश्वर तेरे ईश्वर का विश्नाम है कोई कार्य न करना न तू न तेरा पुत्र न तेरी पुत्रो न तेरा दास न तेरी दामौ न तेरा पेल न तेरा गदहा न तेरे ढोर न तेरा पाहुन जो तेरे फाटकों के भीतर हैं जिसने नेरा दाम और तेरी दासौ तेरी नाई चैन करें। १५ । और चेत कर कि त मिस्त्र के देश में सेवक था और परमेश्वर तेरा ईश्वर अपने सामी हाथ और बढ़ाई हुई भुजा से तुझे वहां से निकाल लाया इसलिये परमेश्वर तेरे ईश्वर ने तुझे आज्ञा किई कि तू बिश्राम दिन का पालन करे। १६ । अपने माता पिता को प्रतिष्ठा दे जैसी परमेश्वर तेरे ईश्वर ने थाना किई है जिमत तेरा जीवन बढ़जाय और उस देश में जिसे तेरा ईश्वर तुझे देता है तेरा भला होवे। १७ । हत्या मत कर । ५८। पर स्त्री गमन मत कर ॥ १८ । चोरीमन कर। २० । अपने परामौ पर मठी साक्षी मत दे। २२ । अपने परोसी की पत्नी की इच्छा मत कर अपने परोमी के घर को और उस के खेन को अथवा उम के दाम और दामी की उस के बैल और गदहे की और परोसौ की किसी बस्त की न्मालच मत कर॥ २२ । परमेश्वर ने पहाड़ पर मेव और गाढ़े अंधकार