पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६ पर्व को पक्षक ये है छठ पर्च। ने आज्ञा और विधि और विचार है जो परमेश्वर तुम्हारे 'ईश्वर ने तुम्हे सिखाने का मुझे आज्ञा किई जिसने तुम उस देश में जिम के अधिकारी है। ने पार जाते है। उन पर चत्तो॥ २। जिस तू परमेश्वर अपने ईश्वर से डरके उम् को सब विधि धार अाज्ञाओं को जा में तुझे श्राज्ञा करता हूं च त में रकसे तू बैर तेरा पुत्र और तेरा पात्र जोवन भर जिसतं तेरा जोबन बढ़ ज च ॥ ३। से। हे इसराएल सुन ले और उसे सेचि के मार जिनते तेरा भला हे।वे पार तुम उस देगा में अत्यंत बढ़ ज्ञायो जिम में दूध और मधु व हता है जैसा परमेश्वर तुम्हारे पिता के ईश्वर ने तुम से प्रण किया है। ४ । सुन ले हे दूसराएल परमेश्वर हमारा ईश्वर एक परमेश्वर है। ५। अपने सारे मन से और सारे जीव से और अपने सारे पराक्रम से परमेश्वर अपने ईमार से हित रख। ६। और ये बात जा आज के दिन मैं तुझी कहता हूँ तेरे अतःकरण में रहें । ७। और ये बान अपने लड़कों को यत्र रो सिखा और अपने घर में बैठने और मार्ग में चलते हुए और सोने और जागते उनको चर्चा ८। बार उन्ह चिन्ह के लिये अपने हाथ पर बांध और वेतरी आंखों के मध्य में को की नाई होंगे। और उन्हें अपने घर के खभा पर और छारो पर लिख। और या होगा कि जब परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे उस देश में ले जायगा जिन के विषय में उस ने तेरे. पिनर अबिरहाम और इज़हाका और यक्व से किरिया खाई है कि बड़ो और उक्तम बस्तियां जा त ने नहीं बनाई तुम देवे ॥ ११ ॥ ौर पर समस्त उत्तगों से भरे हुए जिन्ह त ने नहीं भरा और खाद खादाय कूयें जो तू ने नहीं खाद पौर दाख की बारी और जलपाई के पेड़ जा तू ने नहीं लगावे तुझे देगा और न खायेगा और मनुष्ट होगा। १२ । चौकस रह न हो कि तू परमेश्वर को भूल जाय जो तुझ निज के दश से दासे के घर से निकाल लाया॥ १३ । न परगेश्वर अपने ईम्बर से डरिया और उस की सेवा की जयो र उस के नाम की किरिया खाद्य ॥ १४। तुम भान अान देवता के पोछ लोगों के देवता के जो तुम्हारे अ.स पास जए कर॥