पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३७

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बन मनुष्य को पुस्तक। के मारेगिमा न जायगा। १९। और परमेश्वर के दूत ने उसे कहा कि गर्भिणी है और एक बेटा जनेगी और उस का नाम इसमऐल रखना क्योंकि परमेश्वर ने नेरा दुख सुना ॥ १२। और वुह एक र होगा उस का हाथ हर एक मनुष्य के बिरुड और हर एक का हाथ उस के विरुद्ध होगा और वुह अपने सारे भाइयों के सामने निवास करेगा ॥ १३। तब उस ने उस परमेश्वर का नाम जिस ने उस्म बातें किई यूं लिया कि हे ईश्वर तू मुझे देखता है क्योंकि उस ने कहा कि मैं ने अपने दर्शी का पीछा यहां भी देखा है । २४ । इस लिये उम कूए का नाम बीअरलिहैराई रकबा देखो वुह कादिस और बिरद के मध्य में है।। १५ । सेो हाजिरः अविराम के लिये एक बेटा जनी धौर अविराम ने अपने बेटे का नाम जिसे हाजिरः जनी इममऐन रस्खा ॥ १६ । और जब हाजिरः से अबिराम के लिये इममएल उत्पन्न हुआ तब अविराम छियासी बरस का था। और १७ सत्रहवां पर्च। पर जब अविराम निनावे बरस काडा नब परमेश्वर ने अविराम को दर्शन दिया और कहा कि मैं सर्व सामर्थी ईश्वर ह न मेरे आगे चल और सिद्ध हो॥ २ । और मैं अपने और तेरे मध्य में अपना नियम बांधूंगा और मैं तुझे अन्यंत बढ़ाऊंगा॥ ३ । नव अबिराम अधिा गिरा और ईश्वर ने उससे बातें करके कहा ॥ है। कि मैं जा है मेरा नियम तेरे संग है और न बहुत सी जातिगणों का पिता हेागा ॥ ५। और तेरा नाम फिर अविराम न होगा परन्तु तेरा नाम अबिरहाम होगा क्योंकि मैं ने तुझे बहुत सी जातिगण का पिता बनाया है। ६ । और मैं तुझे अन्य त फलमान करूंगा और तुरसे जातिगण बनाऊंगा और राजा तुझे निकलेगे। ७. और मैं अपना नियम अपने और तेरे मध्य में और तेरे पीके तेरे वंश के उन की पीढ़ियों में सदा के लिये एक नियम जो उन के साथ सदा ले रहे हराऊंगा कि मैं तेरा और तेरे पीछ तेरे बंश का ईश्वर हंगा । ८। और मैं तुझे औरर तेरे पीछे सर्वदा अधिकार के लिये मेरे बंश का तेरे टिकाब का देश देऊंगा अर्थात्