पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३७२

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१३। और विवाद खा और दृप्त होवे नब तू परमेश्वर अपने ईश्वर को जिस ने तुझे पह अच्छा देश दिया धन्य माने॥ ११॥ चौकस रह कि त परमेश्वर अपने ईश्वर को भूल न जाय कि उस की आज्ञाओं और विचार और विधि पर जो आज में तुझे कहता हूं न चले ॥ १२। ऐसा न हो कि जब तू खाके तृप्त होने और सुथरे सुधरे घर बनावे और उन में रहे। नेरे लेहंडे और मुंड बढ़ जाय और तेरी चादी और तेरा सोना बढ़ जाय और तेरा सब कुछ अधिक होवे ॥ १४। तन तेरा मन उभड़ जाय और नू परमेश्वर अपने ईश्वर को जो तुझे मिस्र देश से और बंधुआई के घर से निकाल लाया भूल जाय ॥ १.५ । जो उस बड़े भयानक बन में तुझ लिये फिरा जहां आग के सर्प और विच्छ थे और सूखा जहां पानी न था जिस ने तेरे लिये पथरी के चटान से पानी निकाला ॥ १६ । जिस ने बन में तुझे मन्न खिलाया जिसे तेरे पिनर न जानते वे जिमतं तुझे दौन करे और तुझे परखे जिसने अन्य समय में तेरा भला करे। १७। और तू अपने मन में कहे कि मैं ने अपने पराक्रम और भुजा के बल से यह संपत्ति प्राप्त किई ॥ १८। परंतु तू परमेश्वर अपने ईश्वर को स्मरण करिया क्यांकि वहो तुझे संपत्ति प्राप्त करने को बन्न देता है जिसने बुह अपनी बाचा को जो उस ने किरिया खाके तेरे पितरों से किया हल करे जैसा आज के दिन है। १६ । और यों होगा कि यदि त कभी परमेश्वर अपने ईश्वर को भूलेगा और और ही देवों का पीछा करेगा और उन की सेवा और दंडवत करेगा तो मैं अाज के दिन तुम पर साक्षी देता झं कि तुम निश्चय नष्ट हो जाओगे। २० । उन जातिगण के समान जिन्हें परमेश्वर तुम्हारे मन्मुख नष्ट करता है तुम भी वैसे ही नष्ट हो जाओगे इस कारण कि तुम ने अपने ईश्वर परमेश्वर के शब्द को न माना॥ र नवा पर्व । इसराएन्न सुन ले तुझे आज के दिन बग्दन पार जाना जिसते नू उन जातिगणों का जो तुझ से बड़ी और पराक्रमी है और उन नगरों को जो बड़े और वर्ग लो घेरे हैं अधिकारी होवे ॥ २। वहां के लोग बड़े और लम्च है जो अनाकियों के संतान हैं जिन्हें