पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३७८

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[६१ पद बिबाद निकन अाम जहां न अपना बोहन बोला था र उपेपररवारो को बारी कोई पांच से पानी सोंचता था। १. परंत वह भमि जिप के अधिकारी होने को जाने हो पहाड़ा और नराई का देश है जो आकाश के मेच से मोंचा जाता है। १२ । यह यह देश है जिसे परमेश्वर तेरा ईम्बर चाहता है और बरम के बाभ से लेके बरम के अंत ले। सदा परमेंबर तेरे ईश्वर की आंखें नन पर लगी हैं ॥ २३ । और यां होगा कि यदि तुम ध्याग से मेरी श्राइयों को मनोगे जो मैं तुम्ह जज के दिन धाज्ञा करता हूं परमेश्वर अपने ईश्वर से प्रेम करो कि अपने समस्त मन से और अपने सारे प्राण से उस की सेवा करो। १४ । तो मैं तुम्हारी भमि में समय पर मेह बरम ऊगा भारंभ के मेह चार अंत के मेहमें चन्ह देऊंगा जिमने नू अपना अब और दाख रस और नेल एवढा करे। १५ । और तेरे खेत में तेरे पए के लिए ग्राम उगाऊंगा जिस ने त खाय और तृप्त हो । २६ । तुम आप से शेकम रहे। जिमत तुम्हारे मन छल न खावें दौर तुम फिर में जो इस और दयतो क सेवा करो और उन की दंडवत करो। १७। और परमेश्वर का क्रोध तुम पर भड़के और बुह ख को बंद करे जिसमें मेह न बरसे और भमि अपना फल न दे और तम उम् भूमि से जो परमेश्वर तम्ह देता है शीघ्र न हो जान॥ १८। से। मेरो दून व ते को अपने करण में और मन में रख वादा और चिन्ह के रिय छपने बांरजा र बाधा जित वे तुम्हारी देने आखों के : ध्य में टौके की नाई हैं। १६ । और तुम उन्हें अपने घर में बैठे हुए और मा चलने कए गौर लेटते हुए और ठने के समय अपने लड़कों को निखारो॥ २० । और तू अपने घर के फाटकों पर और दारों पर लिखे ॥ २१ । जिन तुम्ह रे और तुम्हारे बंश के दिन जैसा कि वर्ग के दि प्रथिवी पर बढ़ते है वसेको तुम्हारे दिन उस देश में जिम के कारण परमेश्रर ने मेरे पितरो से किरिया खाके कहा कि मैं तम्ह देऊमा बढ़ जाये। २२ । क्योंकि यदि तुम उन सब बातों की जो में तुम्हें आज्ञा करना हूं से तन करो। और उन्ह मनोगं और परमेश्वर छपने ईमार से प्रेम रक्खोगे और उस के समस्त मागी पर चलोमे और उस्म लवलीन 4