पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८०

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विवाद देवतों को सेगा कि है ऊंचे पहाडां पर और टीलो पर और हर एक हरे पेड़ तस्ते ॥ ३ । उन की देदियां को ढा दीजियों और उन के खंभा को नोरिया और उन के कुजा को आग से जलाया और उन के देवता की खादी गई मनि को हादीजिया और उनके नाम उम स्थान से मिटा दीजियो ४। तुम एता कुछ परमेश्वर अपने इंस्बर के लिये मन कीजिया ५ । परत वह स्थान जिसे परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर तुम्हारी समा गोष्ठियों में से चुनेगा कि अपना नाम उम पर रक्ख चौर उसी के निवास को ढूंढा और उसी स्थान पर आ॥ ६। और वही होम को भेंट और अपने बलि और अपने अंश और अपने हाथ की हिवाई हुई भेंट और अपनी मनीतियां और अपनी at को भेंट और अपने ढार और झुड के पहिलोठ लादू। ७। वहां परमेश्वर अपने ईमार के आगे खायोगे और अपने सारे घराने समेत अपने हाथ के सब कामे में जिन में परमेश्वर तेरे ईश्वर ने मुम्ह आशीष दिया अानंद व रोग॥ ८। नुम एसे कार्य जैसे हम यहां करते हैं हर एक जा अपनी अपनी दृष्टि में ठीक है वहां मन कौजिया। । क्योंकि तुम उप्त विश्राम और अधिकार को जो परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर तुम्हें देता है अब लो नहीं पहुंच ॥ १०। पर जब तुम यर दन पार जाया और उस देश में बसे जिसे परमेश्वर म्हारा ईश्वर तम्हारा अधिकार कर दता है और तुम्हें तुम्हारे सब बुम से जा चारोबार हैं चैन देगा ऐसा कि तुम चैन से बता॥ ११। तब वहां एक स्थान होगा जिसे परमेश्वर तुम्हारा ईपर चुनके अपना नाम उस पर रक्ख तुम मय तुम्ह कहता है यहां ले जाइयो अर्थात् अपनी होम का भरें और अपने बाल अपने अंश बार अपने हाथ की हिलाई हुई भट और अपनी बांका की मौतो जो तुम परमेश्वर के लिये मानने हे। वहां लाइयो। १२ । और अपने बरा छोर अपनी बेटियां और अपने दसे और अपनी दासियों और उस लाबी सहित जो तुम्हारे फाटके में हो इस लिये कि उम का अंश और अधिकार तुम्हारे साथ नौं परमेश्वर अपने ईश्वर के नाम आनंद कीजियो॥ १३॥ अपने से मोचन २ हो और अपनी भेट हर एक स्थान पर जहां योग मिले मत चढ़ाइयो । कुछ जा