पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८२

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३९४ . बिबाद (१३ पर्च २६ । पान न अपने परिच बस्तु न को और अपनी मनालया को उप स्थान में जिले भर चनेगा लेजरया। २७। और न अपना होम की भर पर लोहू परमेश्वर अपने ईश्रर की बदौ पर चढ़ाइया और तेरे वनिताना कालो परमेश्वर रे ई श्रर की बंदी पर ढाला जायगा और न मास को ख इया। २८ । शकस है। और एक सव बन के सवाजा मैं तुझे श्राज्ञ करना ना जि.म में तेरा बा तेरे पाव तेरे वंश का सनागन ले भन्ना है। जब कि तुम न ह जी भला और ठीक है परमेश्वर अपने ईसर की हधि में करो ॥२६ । जब प.मेश्वर नेरा ईमर उन जाति गणो को तेरे आगे से काट डाले जहां न जाता है कि अधिकारी बने और तू उन का अधिकारी होने और उन के 2 ए में काम करे। ३० । अपने से चौका रहियाम हो कि जब वे मेरे आगे मे विनाश हो त उन के पीछे बझ जाय और म हो कि त उन के देवों को राज करके कहे कि दून जानिगा ने अपने दस्तों के से किम रेनि से कई यो मैं भी वैमो करूंगा। ३१ । न परमेश्वर ने ईश्वर से एसा मत कीजिया कयाकि उन्द्रों ने हर एक कार्य जिरसे ई झार के। चिन् है ।उसा वुह देर रखना है अपने दबतों के लिये दिया यह कि अपने क्ट और रियों को अपने देवों के लिये भाग में शला दिया। ३२। तुम हर एक बात को जो में तुम्हें कहता हूं सेचि के मानिया उस में न बढ़ाइया न उस्त में घटाइया । १३ तेरहवां पर्य। यदि गमें कोई प्रागमज्ञानी अग्रता सरदर्शी प्रगट है। और मुझे कोई लक्षण अथवा अाश्चर्य दिखावे ॥ लक्षण अथवा प्राश्चर्य जी उस ने देखाया परा होबे और नुम्हें कहे कि श्राओ रमान देवनों का पीछा कर जिन्हें न ने नहीं और उन को सेवा करे॥ ३। तो कभी उस आगमज्ञानो अथवा खप्रदर्शी के बचन मन मुनिया क्योंकि परमेश्वर तुम्हारा ईश्वर तम्हे परखता है जिसने देखे कि तुम परमेश्वर अपने ईश्वर को अ.ने मारे जीब से और सारे प्राण से मित्र रखने हो कि कहीं । तुम परमेश्वर अपने ई वर का पीछा करो और उसो डरो और उस की आज्ञा को २। और वुह जाना