पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८३

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को पुस्तक । जा ५। और १३ पर्च] ३७३ धारण करो और उसका शब्द तुम उम को सेवा करो और उमौ से लवलीन रहे। बुह द्यागमन नो अयघा वादशी घात किया जायगा क्योंकि उस ने नम्ह परमेश्वर अपने ईश्वर से फिराने की बात कही जात म्ह मिम्र से बाहर निकाय लाया और तो बंधु भाई के घर मे कदाया जिमन + उम मार्ग में से जा परमेश्वर नेरे ईमार ने शाज्ञा कि यमा देवे मे ना उचित है कि न उम बुराई को अपने मध्य से निकाल दाले । । यदि तेरा मगा भाई अथवा तेरा धेश अश्या रोटो अथवा तेरो गाद की पत्नी अयबा नेरा मित्र जारे म ए के मगान है। तुर्भ चुके मे फुपनाचे और कहे कि चल द परे पतों को सेवा करें जिन्हें न और तेरे पितर नहीं जानते हैं। ७। उन लेगां के दाम में से जा तुम्हारे आम पाक तेरे चारों ओर हैं अघवा तुझ मे दुर भूमि ने. इस खूट से उस खंड लो। छ। त उसकी बात न मानिया न उस को मुर्तिया न उस पर स्या को दृष्टि कीजिया न उसे मत वाद न उप को लिपा । । परं र उसे अगस्य मार डालिया उम के वधान में पहिले तेरा हाय उस पर पड़े और पीछे सब लोग के १०। तू उस पर पथरचार कीजिया जिस त वुह मर जाय क्योकि उफ ने चाहा कि परमेश्वर तेरे ईअर से तुझे भटकाचे ज्ञा तुझ मिस्र के देश है।र धुनाई के घर से निकाल लाया । और मारे छपराएन सुन के कुरा गर तुम्हारे मन में फर एमो दुष्टता न करते ॥ १२ । यदि न उन गारो में ज्ञा परमेश्वर ने रे ईशर ने तुझे बसने के लिये दिय हैं यह कहने सुने। १.३ । कि कितने रंग तुम से निकल गय पर अपने नगर के बा.मयां का यां कर के भटकायाकिया। चन बार दरमा की सेवा कर (जन्ह तुम ने गही जामा है ॥ खनिया पार यन मे पछया पर देख यदि सत्य है.य और नि:संदेह किएमा विनित काम है। १५ नो टम नगर के बामियां को खङ्ग को धार से निश्चय गार डालिया से और जो कुछ जस में है और वहां के ढार को खड्ग की धार से सधा नाए की जया। १६ । वहां को मारी लट के वर को सड़क के मध्य में एकट्ट कीजिया और उस नगर को और वहां की सारी लूट को परमेश्वर अपने ईश्वर के लिये हाथ। १४। से और न