पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८४

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[१४ पच जायगा तु तुम विवाद जला दौजिया और तुह मातम ला एवढे २ हेगा फिर बनाया न १७। और उप नापिस बत्तु में से कुक तेरे हाय में सटौ न रहे जितन परमेश्रर अपने क्रोध के जलजलाहट से फिर जाय और तुझा पर अग्रह करे और दयाल होने और तझ वढ़ाने जैसा कि उस ने तुम्हारे पितरो से किरिया खाई है॥ १८। जब तू परमेश्वर अपने ईश्वर का शब्द मने कि उम की माने आज्ञा को जो अाज मैं तुम कहता हूं जा परमेश्वर नेरे ई.वर के आगे ठौक है उसे पालन करे। १४ चौ. हयां पा म परमेश्वर अपने ईश्वर के संतान होनम तक के लिये अपने का काटकट न करियो न अपने माथे को मुडाया। २ । क्योंकि परमेश्रर अपने ईश्वर के लिये पवित्र लेग हो और परमेश्वर ने समस्त जानिगणों में से जा एथिवी पर हैं तुझ चुन लिया कि अपना निज लोग बनाये। ३। न किमो विनित वस्तु को मत खाइयो । ४। इन पान को खाइयोन भेड बकरी। ५। और हरिण और हरिणी और कंदली और बनैलो बकरी और गवय और बनैला बैल और बातप्रमी। ६। और हर एक चैपाया जिम के खरगिरे हुए है। और उप के खुर में विभाग हो और पागुर करता हो तुम उसे खाइयो । । तथापि उन में से जा पागुर करते हैं अथवा उन के खुर चिरे हुए हैं जैसे ऊंट और इन्हें नत खाइया इस लिय कि य पागर नहीं करते परंतु उन के खुर चिरे हुए हैं से। य तम्हारे सिय अशुद्ध हैं। ८) और सूअर इस कारण कि उप के खुर घिरे हुए हैं नयापि पागुर नहीं करता बुद्ध तुम्हारे न्तिय अशड है तुम उन का मांस न खाइयो न उम को लेथा को हुइया॥ । सत्र में से जापानिया में रहते हैं इन्हें खाइयो जिम के पंख चार किल के हॉ। १.। और जिम किसी के पंख और छिल के न हो तुम उन्हें न खाइया घुइ तुम्हारे लिये अशुद्ध हैं। ११ । समस्त पावन पक्षी को रखाइयो । १२ । परंतु उन में इन्हें न खाइयो गिड़ और हाडगिल और कुरर। १३ । और शंकर चौल्ह और चोल्ह और भांति भांति के गिड़। १४। और भांति भाति के कब्जे ॥ १५ ॥ खरहा और मफन तुम