पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३८९

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१७ पर्य कौ पुस्तका धार अपने कोल्हू को एकट्ठा कर चुके तो सात दिन ला तंत्रों का पर्व मान्यिा १४ । और अपने बटा बैंटो और अपने दाम दामो और लावी और परदेशी और अनाथ और विधया समेत जो तेरे फाटको के भीतर है श्रानंद करिया ॥ १५ । मात दिन लो अपने ईम्पर परमेश्वर के लिय उमी स्थान में जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर जुनेगा प६ मामिया दूस लिय कि परमेश्रर तेरा ईश्वर तेरो सारी बढ़निया में और मेरे हाथों के समस्त कार्यों में तुझे बर दंगा से न निश्चय त्रानंद करिया ॥ १६ । बरस में तेरे समस्त पुरुष नौन बार अधीन अखमीरी रोटी के पर्व में और अठवारों के पचे में और तंबशे के पर्व में परमेशर तेरे ईमर के आगे उस स्थान में जिसे वह चुनेगा एकटे हे। और वे परमेश्वर के आगे कुछ न पावे ॥ १७॥ हर एक परुष अपनी पूंजी के समान और परमेश्वर तेरेईश्रर के आशीष के समान जो उप ने तुझ दिया है देवे॥ १८ । अपने समस्त फाटको में जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे दंगा अपनी ममत गोष्ठिरों में न्ययी और प्रधान ठहराइयो और वे याथार्थ से लोगों का न्याय करे॥ १८ । न अन्याय विचार मत करिया तू पक्ष न करिया धूम मत लीजिया क्योंकि घूम बुद्धिमान को अंधा कर देता है और धो को बातों को फेर देता है। २०1 जा हर प्रकार से याथार्थ है तू उस फा पौश करिया जिसने न जाये और उन देश का जो परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे देता है अधिकारी हेत्रे ॥ २१ । परमेश्वर अपने ईश्वर की वेदी के लग अपने लिये पेड़ा का कुज जिसे तू लगाना है न लगाइया ॥ २२ । न अपने लिय किसी भीति को मूनि स्थापित करिया जिससे परमेश्वर तेरे ईम्बर को घिन है। १७ सतरहवां प॥ परमेश्वर अपने ईश्वर के लिय बेल अथवा भेड़ जिस में कोई खोट अथवा बुराई होय बलि मन चढ़ाइया क्याकि परमेश्वर तेरे ईश्वर को उस दिन है। २। याद तुम्हारे किती फाटकों के भीतर जिसे परमेश्वर तेरा ईश्वर तुझे देता है तुम्हा में कोई पुरुष अथवा स्त्री हाय जिस ने परमेश्वर नेरे सर के भाग उस को बाचा को भंग करके दुष्टता किई तू