पृष्ठ:धर्म्म पुस्तक.pdf/३९

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१८ पञ्च] 1 की पुस्तक पास से ईश्वर ऊपर जाता रहा ॥ २३ । नव अविरहाम ने अपने बेटे इसमऐल को और सब जो उस के घर में उत्पन्न हुए थे और सब जेर उस के दाम से मोल लिये गये थे अर्थात् अबिरहाम के घराने के हर एक पुरुष को लेके उसी दिन उन की खलड़ी का खतन किया जैसा कि ईश्वर ने उसे कहा था। २४। और जब उस की खलड़ी का ख़तनः हुआ तब अबिरहाम निन्नाबे बरस का था॥ २५ । और जब उस के बेटे इसमअऐन्त की खलड़ी का खतनः हुअा तब बुह तेरह बरस का था॥ २६ । उसी दिन अबिरहाम और उस के बेटे इसमअऐल का खतनः किया गया । २७॥ और उम के घराने के मारे परुषां का जो घर में उत्पन्न हुए और जो परदेशियों से मेल लिये गये उम के साथ ख़तनः किये गये। १८ अठारहरा पर्व । फर परमेश्वर उसे ममरे के बनतों में दिखाई दिया और बुह दिन को घाम के समय में अपने तंबू के द्वार पर बैठा था ॥ २। और उस ने अपनी अखें उठाई तो क्या देखता है कि तीन मनुष्य उस के पास खड़े हैं उन्हें देखके बुह तंबू के द्वार पर से उन की भर को दौड़ा ॥ ३। और भूमि लो दंडवत किई और कहा हे मेरे खामी यदि मैं ने अब आप की दृष्टि में अनुग्रह पाया है तो मैं आप की विनती करता हूं कि अपने दास के पास से चले न जाइये॥ ४। इच्छा होय तो थोड़ाजल लाया जाय और अपने चरए धाइये और पेड़ तले विश्राम कीजिये ॥ ५। और में एक कार रोटौ लाज और आप टप्त हजिये उस के पौधे आगे बढ़िये क्योंकि आप इसी लिये अपने दास के पास आये हैं तब वे बोले कि जैसा तू ने कहा नैमा कर ॥ ६। सेो अविरहाम तंब में सरः पास उतावली से गया और उसे कहा कि फुरती कर और तीन नपुत्रा चाखा पिसान ले के गूध और उस के फुल के पका ॥ ७॥ फिर अबिरहान मुंड की ओर दौड़ा गया और एक अच्छा कोमल बछड़ा लेके दास को दिया उस ने भी उसे सिद्ध करने में चटक किया । ८। तब उस ने मखन और दूध और बुह बछड़ा जो पकाया था लिया और उन के आगे धरा और आप उन के पास पेड़ नले खड़ा रहा और उन्हों ने खाया ॥ ६। तब उन्हों ने उससे पूछा कि तेरी